Sunday, April 3, 2011

सलीम को ज्ञान प्राप्त हुआ

आप लोगों ने सलीम की पिछली पोस्ट मे पढा कि किस प्रकार सलीम ने साहब सिंह के आँख पर पडा पर्दा हटाने का महान उपक्रम किया। अब साहब सिंह ने भी सोचा कि अगर उसने "ढंग से अध्ययन" न किया तो सलीम की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा, अतः उसने अध्ययन हेतु मार्गदर्शन मांगा, अब क्या था, सलीम ने देखा मौका मारा चौका, अपने ब्ळॉग का लिंक दे दिया। यहीं एक दुर्घटना हो गई, साहब सिंह ने उस ब्लॉग के अलावा और भी कुछ ब्लॉग (सुरेश चिपलुनकर और बी एन शर्मा के जैसे) ब्लॉग भी पढ लिए आखिर सलीम ने ही कहा था कि "ढंग से अध्ययन" की जरूरत है। अब क्या हुआ आगे पढ़ें:-


अगले दिन जब सलीम जब मिला साहब सिंह से तो साहब सिंह ने कहा, हमारी मान्यताओं पर तो अच्छी जानकारी प्राप्त हो गई, क्या अब हम तुम्हारी मान्यताओं पर बात करें? सलीम तो अतिआत्मविश्वास का मारा हुआ था, कहा क्यों नही (सोचा साहब सिंह क्या सवाल करेगा?)


साहब सिंह का पहला सवाल - हमे अल्लाह को क्यों मानना चाहिए? उसकी इबादत क्यों करनी चाहिए?
सलीम - अगर हम अल्लाह को नही मानेंगे तो बहुत बडा गुनाह होगा। अंत मे हम जहन्नुम मे डाल दिए जाएंगे।
साहब सिंह - अगर हम अल्लाह को नही मानेंगे तो वो हमे जहन्नुम मे डाळ देगा, ऐसा तो रघुराज प्रताप सिंह भी करता है, तो क्या अल्लाह भी ऐसा ही करेगा तो दोनो मे अंतर क्या?
सलीम - मौलवी साहब ने यह तो मुझे बताया ही नही।


साहब सिंह - अच्छा अगर हम अल्लाह की इबादत करेंगे तो अल्लाह हमे जहन्नुम मे नही डालेगा?
सलीम - नही।
साहब सिंह - तो वो क्या करेगा?
सलीम - जन्न्त बख्शेगा।
साहब सिंह - वहां क्या होगा?
सलीम - वहां खूब आब-ए-हयात (शराब) और ७२ हूरें मिलेंगी।
साहब सिंह - यह तो दाउद इब्राहिम भी इंतज़ाम कर देगा, शराब और औरतें, तो दोनो मे अंतर क्या?
सलीम - पर अल्लाह हूरें देगा।
साहब सिंह - हूरों के साथ तुम कुछ अलग करने वाले हो क्या?
सलीम - हां यार, सही कहते हो। इन सब के बारे मे तो मौलवी साहब ने यह तो मुझे बताया ही नही।


सलीम - मगर अल्लाह अकेले यह कर सकता है, तुम उसकी तुलना दो लोगो से कर रहे हो।
साहब सिंह - ये दोनो ही इस तरह के हर काम मे सक्षम हैं अर्थात दोनो ही दोनो काम कर सकते हैं, मानते हो या नही।
सलीम - सही है।
साहब सिंह - तो तुम जो एकेश्वरवाद की बात करते हो, उसके बराबर यहां दो लोग और खडे हैं, क्या यह बहुदेववाद को सही सिद्ध नही करते?
सलीम - मालूम नही, मेरे मौलवी साहब तो यह सब बताते नहीं


साहब सिंह - अल्लाह को ही क्यों मानें?
सलीम - अल्लाह ही हमे इस धरती पर भेजता है। वही हमे जीवन देता है, हम उसकी मर्जी के खिलाफ कुछ नही कर सकते।
साहब सिंह - अगर अल्लाह हमे जीवन देता है तो हमारी ज़ान कौन लेता है? वो हमारा ज़ान लेने वाला शैतान हुआ न?
साहब सिंह - और अगर हम अल्लाह की मर्जी के खिलाफ कुछ नही कर सकते, जो कुछ भी होता है वो सब उसकी मर्जी से होता है तो गलत तो कुछ भी नही होता होगा, या वो ज़ान बूझ कर गलत करवाता है हमसे और फिर हमे ही जहन्नुम मे फेंक देता है?


सलीम - ऐसे नही बोलते, कुफ्र होता है।
साहब सिंह - तो क्या इस्लाम मे चर्चा, तर्क और बहस पर पाबंदी है?
सलीम - नहीं। पर अल्लाह पर सवाल नही उठाने चाहिए?
साहब सिंह - जब तक हम सवाल नहीं करेंगे, तब तक यह कैसे मालूम पडेगा कि सामने अल्लाह है या उसके भेस मे शैतान?
सलीम - मौलवी साहब ने यह तो बताया ही नहीं।


सलीम - साहब सिंह तुमको इतना ज्ञान कहां से आया?
साहब सिंह - मैने तुम्हारे कहे अनुसार "ढंग से अध्ययन" किया, तो मुझे मालूम पडा।
सलीम - कहां अध्ययन किया यह सब?
साहब सिंह - ब्लॉग पर ही, सुरेश चिपलूनकर और बी एन शर्मा को पढो। फिरदौस और उम्मी को पढो।


सलीम - अरे यार तुमने तो बहुत लोगो को पढ लिया। सच मे तुमने मेरे दिमाग के सारे तार झनझना दिए, तुम मेरे सही मायने मे सच्चे दोस्त हो, अब तक मैं कितना गलत सोचता था, तुमने मेरे सोच को सही दिशा दे दी। अब तक मुझे मेरे मौलवी जो बताते गये मैं वही रटता गया, सच्चे मायने मे ढंग से अध्ययन तो तुमने किया है।



निवेदन - भाईयों यही सारे तर्क किसी भी धर्म के लिए दिए जा सकते हैं अतः आप सकारात्मक सोचें नकारात्मकता से सलीम के जैसे औंधे मुँह गिरे नज़र आएंगें।

Sunday, March 27, 2011

कठमुल्लों की तडप

ऐसा सभी मानते हैं कि आप जिस प्रकार का व्यवहार दूसरों के साथ करेंगे दूसरे भी वैसा ही आपके साथ वैसा ही व्यवहार करेंगे। यह प्राकृतिक नियम है। इसका अनुपम उदाहरण अभी पाकिस्तान को प्राप्त हो गया। पाकिस्तान मे इस्लाम के अतिरिक्त अन्य धर्मावलिम्बियों के साथ सदैव ही उपेक्षापूर्ण (अपितु शत्रुतापूर्ण) व्यवहार होता आया है। कभी हिन्दु अथवा सिख अगवा कर लिए जाते हैं "ज़जिया" के लिए, तो कभी उनकी बेटियों को उठा लेते हैं और जबरन धर्म परिवर्तन कर किसी के पल्ले बांध देते हैं। और जब इन सबसे मन न भरे तो ईशनिन्दा का आरोप लगा किसी को भी जेल भिजवा देते हैं।


पाकिस्तान मे अनेक मंदिर एवं गुरुद्वारे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों मे बदल गए हैं, तो कई अपनी पहचान खो कर कूडाघर अथवा अन्य सामुदायिक उपयोग के स्थल बन चुके हैं। पाकिस्तान मे अल्पसंख्यकों की धार्मिक मान्यता को कितना महत्वपूर्ण मानते हैं इस बात से ही मालूम पडता है। जब ये ऐसी हरकतें करते हैं तो इन्हे अपना कृत्य पौरुष का प्रदर्शन लगता है, इन्हे लगता है कि इस प्रकार ये दुनिया को अपने सामर्थ्य का परिचय दे रहे हैं।


ऐसे मे जब विरोधियों ने भी इनको इनकी भाषा मे जवाब देना प्रारम्भ किया तो इनको मिर्ची लग गई। अरे भाई जब खुद नही झेल पाते हो दूसरों की ऐसी हरकतें तो उंगली क्यों करते हो? उंगली करोगे तो कोइ न कोइ तो उंगली मरोडेगा ही।

Saturday, March 19, 2011

अनवर जमाल के द्वारा लिया गया एक प्रशंसनीय कदम

आश्चर्य, आश्चर्य, महा आश्चर्य - गुरु घंटाळ महोदय ने खण्डित भारत की तस्वीर को पूर्ण भारत के नक्शे से बदल दिया है।
जमाल जी आपको इस अच्छे कार्य के लिए बहुत साधुवाद। आप ऐसे ही करते रहे तो मेरी दुकान बंद हो जाएगी और मैं बहुत सुखी इंसान हो जाऊंगा, क्योंकि मेरा विरोध अनवर जमाल से नही उन बातों से है जिनका विरोध आपने मेरे ब्लॉग पर देखा, मेरी मौत एक सुखद घटना होगी और आपका नव अवतरण उससे भी सुखद।

आशा है यह उजाला कायम रहेगा।

Friday, March 18, 2011

गुरु घंटाळ भागे तो अब मोर्चा चेले ने संभाला है

आज जब समस्त विश्व जापान के साथ इस दुःख की घडी मे उनके साथ खडा है, उनके दुःख को कम करने एवं उनके मदद के लिए हर संभव प्रयत्न करने के लिए आतुर दीखता है ऐसे मे भी कुछ नर पिशाच धार्मिक एजेंडा ले कर अपनी घॄणात्मक सोच से उबर नही पाते।

गुरुघंटाल तो महान थे ही उनके चेले सलीम उनसे भी दो कदम आगे निकले - जापान की आपदा को वहां पर धर्म प्रचार पर लगी पाबंदी से जोड कर देख रहा है यह मूर्ख व्यक्ति। जब सतीश चन्द्र सत्यार्थी जी ने इस पर आपत्ति जताई तो यह कुटिल कहता है कि मेरा कहना ऐसा नही था, इसे लगता है कि लोग इसकी बात मे उलझ जाएंगे, पर इसे नही मालूम कि दुनिया इसके जैसे मूर्खों को अच्छी तरह पहचानती है।

आश्चर्य तो यह है कि यह सब उस धर्म के प्रचार हेतु हो रहा है जिसमे डॉ कलाम जैसे लोग भी हैं।

Friday, March 11, 2011

दोषी कौन ?, भगवान या इंसान The duty of man

कहते हैं कि जो जैसा होता है उसे सब वैसे ही दीखते हैं।

एक बार एक साधु रास्ते मे बेहोश हो गिर पडा, उधर से गुजरते एक बेवडे ने सोचा कि ज्यादा पीने से ऐसा हुआ है, चोर ने सोचा कि चोरी करने के बाद बचने के लिए साधु वेश मे नाटक कर रहा है जबकि एक साधु ने सही पहचानते हुए उनका उपचार किया। इसी प्रकार यदि ज़माल को सब चोर दिखते हैं सभी बेईमान दिखते हैं तो ज़माल का इमान कैसा होगा खुद बखुद समझ आ जाता है।

बेचारे मंजुनाथ, सत्येन्द्र नाथ इत्यादि की शहादत की कीमत वो क्या जानेगा जो अपने देश की आत्मा को न जान सका।


http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/duty-of-man_9894.html

Friday, March 4, 2011

Women in the society आदमी के लिए ईनामे खुदा है औरत by Anwer Jamal

Women in the society आदमी के लिए ईनामे खुदा है औरत - ब्लॉग का शीर्षक ही बताता है कि हमारे गुरु घंटाल औरतों को वस्तु की श्रेणी मे रखते हैं उन्हे "ईनाम" समझते हैं, ऐसे मे इनसे ज्यादा की उम्मीद तो क्या रखना। ऐसे मे यह लोग औरत की कितनी इज्जत करते हैं अपने आप मे समझ मे आ जाता है, किसी के समझाने की जरूरत नही रहती।


http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/women-in-society-by-anwer-jamal.html

Thursday, March 3, 2011

Islam is Sanatan . सनातन है इस्लाम , मेरा यही पैग़ामby Anwer Jamal

हमारे गुरु घंटाल को ऐसा क्यों भ्रम है कि सब उनके जैसे ही हैं, अब अपनी ही पोस्ट को हॉट करने के लिए खुद ही भला कोइ क्यों कमेंट देगा (हां मेरे गुरु घंटाल यह कर सकते हैं कई फर्जी id से, IMPACT, etc…)

पवन जी से मेरी शिकायत - कौवे की तुलना मेरे गुरु घंटाल से कर के उसका अपमान क्यों किया? आगे से ऐसा न करें। अगर ऐसी दुश्चेष्टा दोबारा की तो काक भुशुण्डी के वंशज आपके खिलाफ आंदोलन करेंगे।

मैने व्यर्थ ही अपने गुरु घंटाल के ज्ञान पर शंका की, ये ज्ञान उन्होने मिर्गी के दौरों के दौरान मिले, इसमे कोइ गडबड नही हो सकती।

मिश्र जी आप भी किससे स्पष्ट उत्तर मांग बैठे?


http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/islam-is-sanatan-by-anwer-jamal.html