हमारे गुरु घंटाल जी का एक प्रिय शगल है किसी एक बंदे को ले लो, उस पर अपनी superiority का रंग जमाने की कोशिश करना।, इस बार नम्बर था अपर्णा बहन का। लिखते हैं कि "सबमें मैंने यही लिखा है कि ईश्वर एक है और उसका धर्म भी एक ही है।" पर चुपके से काम की बात गोल कर गए, यह नही लिखा कि वो ईश्वर वही है जिसे मैं मानता हूं, शेष सब गलत है (नही तो और क्या कारण है बार बार वेदों एवं अन्य धर्म ग्रन्थ, दूसरे धर्म के भी, को प्रक्षिप्त कहना?)
अपर्णा जी, आप को जो बात समझ मे आ गई मैं उसी को यहां सबके सामने रख रहा हूँ, मेरा मकसद इस ब्लॉग को प्रारम्भ करने का सिर्फ यही है। जो काम आपके भैया ने प्रारम्भ की है (भेड़िया को expose करने का) मैं उसको ही पूरा कर रहा हूँ, वैसे ्तो लोग इस भेड़ के खाल मे छिपे भेडिए को पहचानने लगे हैं पर मैने सोचा कि इस कार्य को तनिक व्यवस्थित ढंग से कर दूं।
और हां आपके गजल के बोल इन्होने अपने टिप्पणी बाक्स पर लगाया पर कहीं कोइ credit किधर भी दिया क्या? चोर मनोवृत्ति के व्यक्ति से और क्या अपेक्षा कर सकते हैं हम?
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/prejudice.html
Monday, February 28, 2011
Sunday, February 27, 2011
जो नेक रहेगा , वही एड्स से बचेगा . Aids
गुरु घंटाल महोदय के परम मित्र अयाज़ अहमद (अपने नाम के आगे डॉ लगाते हैं, शायद जानवरों का इलाज करते हैं)ने एड्स का डर दिखाते हुए खतना कराने की सलाह दी है, अब सबसे ज्यादा मुस्लिम अफ्रीका मे, सबसे ज्यादा एड्स के मरीज़ अफ्रीका मे तो सीधी सी बात है खतना तो इसका इलाज़ होने से रहा, हाँ खतना मे १००% कटाने की बात कर रहे हों तो......................
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/blog-post.html
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Friday, February 25, 2011
One who is in search of truth must dive below . ठिकाना है राम रहीम का हर दिल में रब एक है, ढूंढो तो यहीं मिल जाएगा
शर्मा जी ने अपने पोस्ट मे लिखा था कि क्यों मुस्लिम शयरों से नफ़रत करते हैं, ये ज़नाब कैसे अलग होते? इनका इल्ज़ाम तो देखिए - "अक्सर शायर लोगों की ख़ुशी ध्यान मेँ रखकर अपना कलाम पेश करता है और उसे पता होता है कि अगर सच कह दिया तो बड़ा वर्ग नाराज़ हो जाएगा" अब हमारे गुरु घंटाल को कौन समझाए कि पराधीनता काल मे राष्ट्र साधना मे इन शयरों का बड़ा योगदान रहा है, अब आप ही बताईए कि 'रंग दे बसंती चोला' लिखने वाले ने किस से डर कर अपने बोल कमज़ोर किए, या वन्दे मातरम के बोल क्या हमारे लड़ाई का गुरु मंत्र नही था, पर चश्मा............... जी हां अगर चश्मा रंगीन हो तो सब एक ही रंग का दीखता है।
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/one-who-is-in-search-of-truth-must-dive.html
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Thursday, February 24, 2011
Kasab and Indians मुल्क और क़ौम को पैसे की हवस बर्बाद कर रही है
धूर्तों की सबसे बड़ी पहचान यह होती है कि वो छोटी बातों की तुलना बड़ी बातों से कर एक समान साबित करने की कोशिश करते हैं और इस भांति अपने को निर्दोष सिद्ध करने का प्रयत्न, अब चुंकि दूसरे पक्ष की भी कहीं गलती हो सकती है, परन्तु वह पक्ष छोटी गलती होने पर भी अपराध भाव से भर जाए यह इनका प्रयत्न रहता है, और इसी मे इनकी विजय है, क्योंकि अपराध भाव से भरा व्यक्ति अपना मुख नही खोलेगा, और ये ज़नाब अपनी कारगुजारी करते रहेंगें।
२६ नवंबर २००८ की घटना के समय हमारे TV चैनेलों का काम निश्चित रूप से गलत था और ताज़ के live प्रसारण से आतंकियों को लाभ मिला, पर TV कंपनिया इसको जानकर नही अनजाने मे कर गई और हमारे गुरु घंटाल जी को मौका मिल गया इन दोनो को एक बराबर खड़ा करने का, अब भला ये चूकने वाले थे भला?
अंत मे घोटाले को भी इन्होने युद्ध की श्रेणी मे रख दिया, और यह चाहते हैं कि इन सबको कसाब से अधिक ही सज़ा मिले (अर्थात प्रकारांत से कसाब को कम सज़ा दी जाए)
टिप्पणी मे अपनी आदत के अनुसार बात रख दी कि कानून व्यवस्था मे त्वरित निपटारे का प्रावधान नही जो कि इरान मे है, और हम उसे इसलिए नही अपना रहे क्योंकि इरान इस्लामी राष्ट्र है, अब इन अक्ल के अंधों को कौन समझाए कि ऐसी व्यवस्थाएं विश्व के अनेक देशों मे हैं जिनमे से कई गैर मुस्लिम भी हैं, जैसे चीन पर जिस प्रकार ये महोदय हमेशा कहते आए हैं कि "क्या एक अच्छी बात केवल इसलिए न सीखी जाए कि वह मुस्लिम देश का दस्तूर है ?" उसी तर्ज़ पर क्या एक अच्छी बात के लिए चीन को सिर्फ इसलिए प्रशंसा न दी जाये क्योंकि वह एक गैर मुस्लिम राष्ट्र है?
जय गुरु घंटाल
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/kasab-and-indians.html
२६ नवंबर २००८ की घटना के समय हमारे TV चैनेलों का काम निश्चित रूप से गलत था और ताज़ के live प्रसारण से आतंकियों को लाभ मिला, पर TV कंपनिया इसको जानकर नही अनजाने मे कर गई और हमारे गुरु घंटाल जी को मौका मिल गया इन दोनो को एक बराबर खड़ा करने का, अब भला ये चूकने वाले थे भला?
अंत मे घोटाले को भी इन्होने युद्ध की श्रेणी मे रख दिया, और यह चाहते हैं कि इन सबको कसाब से अधिक ही सज़ा मिले (अर्थात प्रकारांत से कसाब को कम सज़ा दी जाए)
टिप्पणी मे अपनी आदत के अनुसार बात रख दी कि कानून व्यवस्था मे त्वरित निपटारे का प्रावधान नही जो कि इरान मे है, और हम उसे इसलिए नही अपना रहे क्योंकि इरान इस्लामी राष्ट्र है, अब इन अक्ल के अंधों को कौन समझाए कि ऐसी व्यवस्थाएं विश्व के अनेक देशों मे हैं जिनमे से कई गैर मुस्लिम भी हैं, जैसे चीन पर जिस प्रकार ये महोदय हमेशा कहते आए हैं कि "क्या एक अच्छी बात केवल इसलिए न सीखी जाए कि वह मुस्लिम देश का दस्तूर है ?" उसी तर्ज़ पर क्या एक अच्छी बात के लिए चीन को सिर्फ इसलिए प्रशंसा न दी जाये क्योंकि वह एक गैर मुस्लिम राष्ट्र है?
जय गुरु घंटाल
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Tuesday, February 22, 2011
Rape बलात्कार का मूल कारण और सही निवारण क्या है ? - Anwer Jamal
यह एक ब्लॉग है जिस पर मैं कुछ हद तक गुरु घंटाल को साधुवाद देने के करीब तक पहुँच गया था। निश्चित तौर पर ब्लात्कारियों के लिए मृत्यु दण्ड मेरी भी मांग है। पर यह जनाब अपने को विश्व मामलों का जानकार समझने की भूल कर बैठते हैं और गडबड कर बैठते हैं, इन्होने लिखा है कि (टिप्पणी मे) "अपने कथन के सुबूत में किसी इस्लामी देश की तुलनात्मक बलात्कार दर पेश करें" अब इन्हे कौन समझाए कि अरब देश मे समाचार पर sensor हैं अभी तक। क्या यह ज़नाब जानते हैं कि अरब देशों मे तापमान 50 degree celcius के ऊपर नही जाता, कभी भी gulf news online देख लीजीए, अब क्या हम इसको भी मानें? और वैसे भी अरब देशों मे घरेलू नौकरानियां तो इस शारिरिक शोषण का शिकार होती ही रहती हैं पर ये तो कुरान के अनुसार ज़ायज है न।
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/rape-anwer-jamal.html
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Monday, February 14, 2011
Father Manu मैं चैलेंज करता हूँ कि पूरी दुनिया में कोई एक ही आदमी यह साबित कर दे कि मनु ने ऊँच नीच और ज़ुल्म की शिक्षा दी है , है कोई एक भी विद्वान ? Anwer Jamal
रामपाल जी गांधी जी तो अब गुजर चुके हैं, ये जनाब तो तरुण विजय (पूर्व पाञ्चजन्य संपादक) के नाम पर एक फर्जी लेख अंजुमन ब्लोग पर छाप चुके है जिसमे उन्होने इस्लाम की बडाई की है, तो आप इनसे ऐसी उम्मीद न रखें कि यहां सच मिलेगा।
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/father-manu-anwer-jamal_25.html
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Saturday, February 12, 2011
Innocent woman अमन का पैग़ाम और औरत का मक़ाम ?
हमारे गुरु घंटाल के नज़रों के सामने से दो लेख गुज़रे, और दोनो के विषय उन्हे अत्यन्त प्रिय हैं अतः लिखने बैठ गए।
पहला औरत - तो ये जनाब तो औरतों के दीवाने हैं, और उन्हे कमतरी का एहसास दिला कर खुद को उनका रहनुमा बनने मे ज़नाब को बड़ा मज़ा आता है।
दूसरा धर्म - अब यह तो इनका दूसरा सबसे प्रिय विषय है, क्योंकि औरतों को दबाने के लिए इन्हे (अ)धर्म का सहारा जो चाहिए होता है?, यह कहते हैं कि धर्म बदला नही जा सकता पर खुद दूसरों को अपने धर्म मे सम्मिलित होने की दावत देते रहतें हैं।
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/innocent-woman.html
पहला औरत - तो ये जनाब तो औरतों के दीवाने हैं, और उन्हे कमतरी का एहसास दिला कर खुद को उनका रहनुमा बनने मे ज़नाब को बड़ा मज़ा आता है।
दूसरा धर्म - अब यह तो इनका दूसरा सबसे प्रिय विषय है, क्योंकि औरतों को दबाने के लिए इन्हे (अ)धर्म का सहारा जो चाहिए होता है?, यह कहते हैं कि धर्म बदला नही जा सकता पर खुद दूसरों को अपने धर्म मे सम्मिलित होने की दावत देते रहतें हैं।
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