अनवर जमाल, हमारे गांडू गुरु को एक जानकारी मिली और अपनी कम-अक्ली के चलते उन्होने यह जानने की कोशिश किए बिना कि इसमे सच्चाई कितनी है, एक पोस्ट पेल दी। जानकारी - "चुनाव आयोग का कहना है कि देश में 1200 राजनीतिक पार्टियां पंजीकृत हैंण्ण्ण्इनमें से सिर्फ 16 फ़ीसदी ही यानि 200 पार्टियां ही राजनीतिक गतिविधियों में लगी हैं बाकी ज्यादातर पार्टियां राजनीतिक चंदे के नाम पर काली कमाई को धो कर व्हाईट करने में लगी हैं..." अब कोइ जा कर मेरे गधे गुरु से पूछे कि चुनाव आयोग कब से आर्थिक गतिविधियों का हिसाब किताब लेने लग गया और कब से पार्टियां ये देने लगी? इसके पारदर्शिता के लिए चंदा चेक से लेने का प्रस्ताव तो दशकों से अटका हुआ है क्योंकि कोइ अपनी आर्थिक गतिविधि का खुलासा नही करना चाहता है, पर हमारे गुरु जी..............
(http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/01/organised-crime-against-india.html)
:) :)
ReplyDeletehttp://commentsgarden.blogspot.com/2011/01/some-phillosophers-are-wrong-doers.html
ऐसी बेअक्ली के नमूने वह जगह जगह छोडता है,
ReplyDeleteमैं उसका झूठ खोलने वाले कमेंट उसके ब्लॉग पर करता हूँ पर वह डरकर उन कमेंट को डिलिट कर देता है।
यह सब जगह प्रशन के सामने प्रश्न पेलता है खुद ही बनाकर।
चर्चा का क ख ग नहीं जानता, कुटिलता उसका सिद्धान्त है।विवाद उसकी नीति।