Saturday, January 29, 2011

विधवा महिला का जीवन The hard life of Indian widows.

हमारे गुरु अनवर भंडुवा जमाल को एक ब्राहमण विधवा को ब्राहमण समाज़ द्वारा मेहनत मज़दूरी करने से रोकने पर बड़ा दुःख हुआ। होना भी चाहिए, पर मुझे कुछ बातें समझ नहीं आईः-
१. अगर उस विधवा पर नौकरी नही करने का दबाव है तो वो गांव से इतनी दूर आकर नौकरी कैसे कर लेगी, ऐसे मे वो हमारे गांडुश्री गुरु से नौकरी क्यों मांग रही थी?
२. विधवा विवाह - हिन्दु समाज़ मे अब कोइ आश्चर्य की बात नही रहे, परन्तु यदि कोइ जोड नही मिलता तो क्या जबरदस्ती मेहर की रकम के लिए किसी के गले बांध दी जाए यह महिला?
३. इस महिला के द्वारा चरखा कात कर धनोपार्जन किया जा रहा है, जिसमे वो समर्थ है, शारिरिक श्रम के बारे मे कह नही सकते, क्यों हमारे गांडु गुरु इसके पीछे पड़े हैं?
४. कितनी मुस्लिम विधवा महिलाओं को काम नही करने दिया जाता - गांडुश्री उस पर अपने विचार कब रखेंगें?

(http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/03/hard-life-of-indian-widows.html)

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