Monday, February 28, 2011

Prejudice मेरे बारे में बदगुमानियों के पीछे एक बड़ी वजह आपकी ज़हनियत भी है। क्या आप इसे स्वीकार करते हैं ?

हमारे गुरु घंटाल जी का एक प्रिय शगल है किसी एक बंदे को ले लो, उस पर अपनी superiority का रंग जमाने की कोशिश करना।, इस बार नम्बर था अपर्णा बहन का। लिखते हैं कि "सबमें मैंने यही लिखा है कि ईश्वर एक है और उसका धर्म भी एक ही है।" पर चुपके से काम की बात गोल कर गए, यह नही लिखा कि वो ईश्वर वही है जिसे मैं मानता हूं, शेष सब गलत है (नही तो और क्या कारण है बार बार वेदों एवं अन्य धर्म ग्रन्थ, दूसरे धर्म के भी, को प्रक्षिप्त कहना?)

अपर्णा जी, आप को जो बात समझ मे आ गई मैं उसी को यहां सबके सामने रख रहा हूँ, मेरा मकसद इस ब्लॉग को प्रारम्भ करने का सिर्फ यही है। जो काम आपके भैया ने प्रारम्भ की है (भेड़िया को expose करने का) मैं उसको ही पूरा कर रहा हूँ, वैसे ्तो लोग इस भेड़ के खाल मे छिपे भेडिए को पहचानने लगे हैं पर मैने सोचा कि इस कार्य को तनिक व्यवस्थित ढंग से कर दूं।

और हां आपके गजल के बोल इन्होने अपने टिप्पणी बाक्स पर लगाया पर कहीं कोइ credit किधर भी दिया क्या? चोर मनोवृत्ति के व्यक्ति से और क्या अपेक्षा कर सकते हैं हम?

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Sunday, February 27, 2011

जो नेक रहेगा , वही एड्स से बचेगा . Aids

गुरु घंटाल महोदय के परम मित्र अयाज़ अहमद (अपने नाम के आगे डॉ लगाते हैं, शायद जानवरों का इलाज करते हैं)ने एड्स का डर दिखाते हुए खतना कराने की सलाह दी है, अब सबसे ज्यादा मुस्लिम अफ्रीका मे, सबसे ज्यादा एड्स के मरीज़ अफ्रीका मे तो सीधी सी बात है खतना तो इसका इलाज़ होने से रहा, हाँ खतना मे १००% कटाने की बात कर रहे हों तो......................


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Friday, February 25, 2011

One who is in search of truth must dive below . ठिकाना है राम रहीम का हर दिल में रब एक है, ढूंढो तो यहीं मिल जाएगा

शर्मा जी ने अपने पोस्ट मे लिखा था कि क्यों मुस्लिम शयरों से नफ़रत करते हैं, ये ज़नाब कैसे अलग होते? इनका इल्ज़ाम तो देखिए - "अक्सर शायर लोगों की ख़ुशी ध्यान मेँ रखकर अपना कलाम पेश करता है और उसे पता होता है कि अगर सच कह दिया तो बड़ा वर्ग नाराज़ हो जाएगा" अब हमारे गुरु घंटाल को कौन समझाए कि पराधीनता काल मे राष्ट्र साधना मे इन शयरों का बड़ा योगदान रहा है, अब आप ही बताईए कि 'रंग दे बसंती चोला' लिखने वाले ने किस से डर कर अपने बोल कमज़ोर किए, या वन्दे मातरम के बोल क्या हमारे लड़ाई का गुरु मंत्र नही था, पर चश्मा............... जी हां अगर चश्मा रंगीन हो तो सब एक ही रंग का दीखता है।



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Thursday, February 24, 2011

Kasab and Indians मुल्क और क़ौम को पैसे की हवस बर्बाद कर रही है

धूर्तों की सबसे बड़ी पहचान यह होती है कि वो छोटी बातों की तुलना बड़ी बातों से कर एक समान साबित करने की कोशिश करते हैं और इस भांति अपने को निर्दोष सिद्ध करने का प्रयत्न, अब चुंकि दूसरे पक्ष की भी कहीं गलती हो सकती है, परन्तु वह पक्ष छोटी गलती होने पर भी अपराध भाव से भर जाए यह इनका प्रयत्न रहता है, और इसी मे इनकी विजय है, क्योंकि अपराध भाव से भरा व्यक्ति अपना मुख नही खोलेगा, और ये ज़नाब अपनी कारगुजारी करते रहेंगें।
२६ नवंबर २००८ की घटना के समय हमारे TV चैनेलों का काम निश्चित रूप से गलत था और ताज़ के live प्रसारण से आतंकियों को लाभ मिला, पर TV कंपनिया इसको जानकर नही अनजाने मे कर गई और हमारे गुरु घंटाल जी को मौका मिल गया इन दोनो को एक बराबर खड़ा करने का, अब भला ये चूकने वाले थे भला?
अंत मे घोटाले को भी इन्होने युद्ध की श्रेणी मे रख दिया, और यह चाहते हैं कि इन सबको कसाब से अधिक ही सज़ा मिले (अर्थात प्रकारांत से कसाब को कम सज़ा दी जाए)
टिप्पणी मे अपनी आदत के अनुसार बात रख दी कि कानून व्यवस्था मे त्वरित निपटारे का प्रावधान नही जो कि इरान मे है, और हम उसे इसलिए नही अपना रहे क्योंकि इरान इस्लामी राष्ट्र है, अब इन अक्ल के अंधों को कौन समझाए कि ऐसी व्यवस्थाएं विश्व के अनेक देशों मे हैं जिनमे से कई गैर मुस्लिम भी हैं, जैसे चीन पर जिस प्रकार ये महोदय हमेशा कहते आए हैं कि "क्या एक अच्छी बात केवल इसलिए न सीखी जाए कि वह मुस्लिम देश का दस्तूर है ?" उसी तर्ज़ पर क्या एक अच्छी बात के लिए चीन को सिर्फ इसलिए प्रशंसा न दी जाये क्योंकि वह एक गैर मुस्लिम राष्ट्र है?

जय गुरु घंटाल

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Tuesday, February 22, 2011

Rape बलात्कार का मूल कारण और सही निवारण क्या है ? - Anwer Jamal

यह एक ब्लॉग है जिस पर मैं कुछ हद तक गुरु घंटाल को साधुवाद देने के करीब तक पहुँच गया था। निश्चित तौर पर ब्लात्कारियों के लिए मृत्यु दण्ड मेरी भी मांग है। पर यह जनाब अपने को विश्व मामलों का जानकार समझने की भूल कर बैठते हैं और गडबड कर बैठते हैं, इन्होने लिखा है कि (टिप्पणी मे) "अपने कथन के सुबूत में किसी इस्लामी देश की तुलनात्मक बलात्कार दर पेश करें" अब इन्हे कौन समझाए कि अरब देश मे समाचार पर sensor हैं अभी तक। क्या यह ज़नाब जानते हैं कि अरब देशों मे तापमान 50 degree celcius के ऊपर नही जाता, कभी भी gulf news online देख लीजीए, अब क्या हम इसको भी मानें? और वैसे भी अरब देशों मे घरेलू नौकरानियां तो इस शारिरिक शोषण का शिकार होती ही रहती हैं पर ये तो कुरान के अनुसार ज़ायज है न।

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Monday, February 14, 2011

Father Manu मैं चैलेंज करता हूँ कि पूरी दुनिया में कोई एक ही आदमी यह साबित कर दे कि मनु ने ऊँच नीच और ज़ुल्म की शिक्षा दी है , है कोई एक भी विद्वान ? Anwer Jamal

रामपाल जी गांधी जी तो अब गुजर चुके हैं, ये जनाब तो तरुण विजय (पूर्व पाञ्चजन्य संपादक) के नाम पर एक फर्जी लेख अंजुमन ब्लोग पर छाप चुके है जिसमे उन्होने इस्लाम की बडाई की है, तो आप इनसे ऐसी उम्मीद न रखें कि यहां सच मिलेगा।


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Saturday, February 12, 2011

Innocent woman अमन का पैग़ाम और औरत का मक़ाम ?

हमारे गुरु घंटाल के नज़रों के सामने से दो लेख गुज़रे, और दोनो के विषय उन्हे अत्यन्त प्रिय हैं अतः लिखने बैठ गए।
पहला औरत - तो ये जनाब तो औरतों के दीवाने हैं, और उन्हे कमतरी का एहसास दिला कर खुद को उनका रहनुमा बनने मे ज़नाब को बड़ा मज़ा आता है।
दूसरा धर्म - अब यह तो इनका दूसरा सबसे प्रिय विषय है, क्योंकि औरतों को दबाने के लिए इन्हे (अ)धर्म का सहारा जो चाहिए होता है?, यह कहते हैं कि धर्म बदला नही जा सकता पर खुद दूसरों को अपने धर्म मे सम्मिलित होने की दावत देते रहतें हैं।


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Wednesday, February 9, 2011

Hindu Rashtra for a muslim क्या हिन्दू राष्ट्र में एक मुसलमान के लिए कोई जगह नहीं है ?

हमारे गुरु घंटाल को परेशानी है कि रचना जी ने उन्हे क्यों कर इस अधिकार से वंचित रखा कि वो हिन्दु धर्म पर प्रश्न उठा सके जबकि अमित जी को इससे मुक्त रखा है, इससे तो गुरु घंटाल को सष्ट रूप से समझ जाना चाहिए था कि उनकी पोल सबके सामने खुल चुकी है, अब सब जानते हैं कि उनके प्रश्न जो होते हैं वस्तुतः उनके पीछे कोइ न कोइ षडयंत्र / कुत्सित विचार कार्य कर रहा होता है, ये निर्दोष प्रश्न नही होते जो ज्ञान प्राप्ति अथवा दोष उन्मूलन हेतु रखे गये हों।

पर गुरु घंटाल महोदय तो बेशर्मों की भांति डटे हुए हैं। बिन्दुवार चर्चा करते हैं इस ब्लॉग पर

१. हिन्दु धर्म के बारे मे कहने का हक सिर्फ हिन्दुओं को क्यों - जी नही , हमे समस्या है सिर्फ तुम्हारे जैसे भेड की खाल मे छिपे भेडियों से।
२. सप्रमाण बात कहने का हक क्यों नही - बिल्कुल नही, हमे प्रमाण नही अपितु निर्मल हृदय चाहिए (ठीक उसी प्रकार जैसे तुम चाहते हो कुरान पर)
३. मैक्समूलर एवं अन्य पश्चिमी विद्वानों ने तथ्यों को अपनी सुविधानुसार तोड़ा मरोड़ा है, उसको प्रमाणिक नही मान सकते।
४. उसमे से उद्ध्रण हम नही देगें पर क्या आप पुराणों एवं उपनिषदों के भ्रामक एवं भ्रांत उद्धरण देने बंद करेण्गे? पहले खुद इसको अपनाइए फिर हमसे कहिए।
५. पश्चिमी दुनिया को कहें कि वो उपनिषद छोडे और वेदो से ज्ञान ले।
६. दूसरों को शोध करने से हम रोकना नही चाहते हमारा सिर्फ इतना मंतव्य है कि शोध के नाम पर गंदगी न फैलाई जाए।
७. शोध निबंधो की हिन्दु समाज मे कोइ मान्यता नही है।
८. इस विषय पर मुझे जानकारी जुटानी होगी तब टिप्पणी करूंगा।
९. रचना जी को हिन्दू अवधारणा बेहतर तरीके से ज्ञात है, इसमे सबके लिए स्थान है, जबकि तुम्हारे अनुसार सिर्फ कुरान मानने वालों के लिए ही यह जहां है अतः उन्होने तुम्हे हिन्दू मानने से इंकार किया।
१०. अगर तुम अपने को कल पागल कहना शुरु कर दो तो हम क्या करें? हिन्दु कहते हो तो समरसता सीखों दूसरों को स्वीकार करना सीखो।
११. मुसलमान होना हिन्दू होने का विलोम नही है ऐसा कई हिन्दू मानते हैं पर क्या देवबंदी और बरेलवी भी ऐसा ही मानते हैं?
१२. हिन्दू शब्द की परिभाषा रचना जी ने दी हुई है, अगर पल्ले पडा हो तो ठीक अन्यथा हम जानते हैं कि थोथा चना बाज़े घना।

गुरु घंटाल ने यह तो कह दिया कि इस्लाम मे मदिरा वर्जित है, पर यह नही बताया कि यह वर्जित वस्तु जन्नत मे क्या कर रही है?

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Tuesday, February 8, 2011

Hindu Rashtra for a muslim क्या हिन्दू राष्ट्र में एक मुसलमान के लिए कोई जगह नहीं है ?

जमाल की पुरानी आदत है, किसी भी बात का अधकचरा ज्ञान मिला नही कि दौड पडे दुनिया को बताने कि देखो मै कितना ज्ञानी हूँ। यहां बात हो रही है सिख गुरुओं द्वारा बलि देने की - अब इस अक्ल के पैदल को कौन समझाए कि सिख गुरुओं मे बलि की परंपरा नही रही, मात्र दशम् गुरु, श्री गुरु गोविंद सिंह द्वारा अनुयायियों कि परीक्षा लेने हेतु बलि का नाटक किया गया था। अब इसी घटना को पढ कर मूढमति जमाल ने सोचा कि सिख गुरु जरूर मांसाहार करते होगे, जबकि आज भी अमृत चखा सिख मांसाहार नही करते। पर मूढ लोगो को समझाने का कोइ लाभ है क्या? उस पर तुर्रा यह कि दूसरों पर अज्ञानी होने का आरोप मढ दिया इस अहंकारी व्यक्ति ने।

सारी दुनिया जानती है कि मुस्लिम सभी धर्मों पर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने हेतु धन, बल सभी प्रयोग करते हैं, और इल्जाम हिन्दुओं पर। बढिया है।

दूसरी श्रेष्ठतम जानकारी - हलाल करने से जानवर को कष्ट नही होता, वाहियात बातें तो कोइ जमाल से सुने। अगर किसी जानवर की गर्दन को आधा रेत कर छोड दो तो उसे कष्ट नही होता है, मूर्खता की भी हद होती है।

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Monday, February 7, 2011

Intellectual dwarfness राक्षस कौन है ? , बलि के विरोधी या हम सबके पूर्वज ?

गुरुजी हमेशा की तरह इस बार भी एक खास किस्म का चश्मा पहन कर ब्लॉग लिखने बैठे थे तो ज़ाहिर सी बात है कि उन्हे सिर्फ वो ही दिखाई देगा जो वो देखना चाहेगे, शेष का तो सवाल ही नही पैदा होता है। निश्चित ही इस संसार मे मांसाहार का एक महत्वपूर्ण स्थान है, पर "हरेक जाति और समुदाय के ज्ञानी पूर्वज और वीर सैनिक मांस खाते आए हैं यह इतिहास से सिद्ध है" ऐसा लिख कर क्या सिद्ध करना चाहता है जमाल, शंकराचार्य जी, या हमारे अन्य सिद्ध पुरुष लोग ज्ञानी नही थे। ऐसी ही किसी टिप्पणी को लेकर वो खुद हाय तौबा मचा देगा कि हाय मेरे सल्ल को गाली दी, हाय मेरे पूर्वज़ों को गाली दी, खुद ऐसा लिखते समय अक्ल पर पत्थर रख कर लिखता है ये।

भोजन का क्या असर पडता है हमारे चिंतन पर इस पर अनेक शोध हो रहे हैं और प्रत्येक शोध भारतीय चिंतन को सत्य सिद्ध कर रहा है, पर जमाल को इससे क्या फर्क, वो तो बस अपनी ही हांकेगा

जमाल को हिन्दु शब्द की व्याख्या का उच्चतम न्यायालय का निर्णय भी नही दिखता, क्योंकि फिर वो अनर्गल बातें कैसे करेगा?

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Thursday, February 3, 2011

The right view about God विष्णु अर्थात पालनहार तो सदा से जाग रहा है लेकिन लोगों के ज्ञान चक्षु कब खुलेंगे ? - Anwer Jamal

इस पोस्ट को देख कर मुझे तो यही लगा कि मेरे गुरु का मानना है विष्णु के इस जगत के पालनकर्ता हैं।

http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/07/right-view-about-god-anwer-jamal.html

Wednesday, February 2, 2011

Butterfly किसी मुफ़्ती के फ़तवे की वजह आज तक नाहक़ इतनी जानें न गई होंगी जितनी कि इस देश में डाक्टरों के क्लिनिक में रोज़ाना ले ली जाती हैं और कहीं चर्चा तक नहीं होता।

मैं पूरा ब्लॉग पढ गया अंत तक एक लाइन नही मिली विषय के बारे में।

उसके पहले हमारे साधु गुरु जी को "तितली टाइप लड़कियों" प्रयोग करते हुए शर्म भी नही आई और अब भी कहेंगे कि मै तो स्त्रियों कि इज्जत करता हूँ।

अंत मे - क्या डॉक्टरों का भी विरोध होना चाहिए, या मुल्लओं को भी छूट मिलनी चाहिए जान लेने की, सोच क्या है, शायद लेखक को भी मलूम नही थ इसलिए कुछ लिखा नही।


(http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/07/butterfly-anwer-jamal.html)

Tuesday, February 1, 2011

पालनहार प्रभु ने मनुष्य की रचना दुख भोगने के लिए नहीं की है।

हमारे गुरु ने फिर से झण्डा उठाया है कि कुरान ही एकमात्र सत्य है, अब अगर ऐसे मे कोइ कुरान पर इमान न लाए तो उसके साथ क्या करना चाहिए? आप लोग तो समझदार हैं। कुरान साफ कहता है कि काफ़िरों का सफाया।


(http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/05/blog-post.html)