Sunday, April 3, 2011

सलीम को ज्ञान प्राप्त हुआ

आप लोगों ने सलीम की पिछली पोस्ट मे पढा कि किस प्रकार सलीम ने साहब सिंह के आँख पर पडा पर्दा हटाने का महान उपक्रम किया। अब साहब सिंह ने भी सोचा कि अगर उसने "ढंग से अध्ययन" न किया तो सलीम की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा, अतः उसने अध्ययन हेतु मार्गदर्शन मांगा, अब क्या था, सलीम ने देखा मौका मारा चौका, अपने ब्ळॉग का लिंक दे दिया। यहीं एक दुर्घटना हो गई, साहब सिंह ने उस ब्लॉग के अलावा और भी कुछ ब्लॉग (सुरेश चिपलुनकर और बी एन शर्मा के जैसे) ब्लॉग भी पढ लिए आखिर सलीम ने ही कहा था कि "ढंग से अध्ययन" की जरूरत है। अब क्या हुआ आगे पढ़ें:-


अगले दिन जब सलीम जब मिला साहब सिंह से तो साहब सिंह ने कहा, हमारी मान्यताओं पर तो अच्छी जानकारी प्राप्त हो गई, क्या अब हम तुम्हारी मान्यताओं पर बात करें? सलीम तो अतिआत्मविश्वास का मारा हुआ था, कहा क्यों नही (सोचा साहब सिंह क्या सवाल करेगा?)


साहब सिंह का पहला सवाल - हमे अल्लाह को क्यों मानना चाहिए? उसकी इबादत क्यों करनी चाहिए?
सलीम - अगर हम अल्लाह को नही मानेंगे तो बहुत बडा गुनाह होगा। अंत मे हम जहन्नुम मे डाल दिए जाएंगे।
साहब सिंह - अगर हम अल्लाह को नही मानेंगे तो वो हमे जहन्नुम मे डाळ देगा, ऐसा तो रघुराज प्रताप सिंह भी करता है, तो क्या अल्लाह भी ऐसा ही करेगा तो दोनो मे अंतर क्या?
सलीम - मौलवी साहब ने यह तो मुझे बताया ही नही।


साहब सिंह - अच्छा अगर हम अल्लाह की इबादत करेंगे तो अल्लाह हमे जहन्नुम मे नही डालेगा?
सलीम - नही।
साहब सिंह - तो वो क्या करेगा?
सलीम - जन्न्त बख्शेगा।
साहब सिंह - वहां क्या होगा?
सलीम - वहां खूब आब-ए-हयात (शराब) और ७२ हूरें मिलेंगी।
साहब सिंह - यह तो दाउद इब्राहिम भी इंतज़ाम कर देगा, शराब और औरतें, तो दोनो मे अंतर क्या?
सलीम - पर अल्लाह हूरें देगा।
साहब सिंह - हूरों के साथ तुम कुछ अलग करने वाले हो क्या?
सलीम - हां यार, सही कहते हो। इन सब के बारे मे तो मौलवी साहब ने यह तो मुझे बताया ही नही।


सलीम - मगर अल्लाह अकेले यह कर सकता है, तुम उसकी तुलना दो लोगो से कर रहे हो।
साहब सिंह - ये दोनो ही इस तरह के हर काम मे सक्षम हैं अर्थात दोनो ही दोनो काम कर सकते हैं, मानते हो या नही।
सलीम - सही है।
साहब सिंह - तो तुम जो एकेश्वरवाद की बात करते हो, उसके बराबर यहां दो लोग और खडे हैं, क्या यह बहुदेववाद को सही सिद्ध नही करते?
सलीम - मालूम नही, मेरे मौलवी साहब तो यह सब बताते नहीं


साहब सिंह - अल्लाह को ही क्यों मानें?
सलीम - अल्लाह ही हमे इस धरती पर भेजता है। वही हमे जीवन देता है, हम उसकी मर्जी के खिलाफ कुछ नही कर सकते।
साहब सिंह - अगर अल्लाह हमे जीवन देता है तो हमारी ज़ान कौन लेता है? वो हमारा ज़ान लेने वाला शैतान हुआ न?
साहब सिंह - और अगर हम अल्लाह की मर्जी के खिलाफ कुछ नही कर सकते, जो कुछ भी होता है वो सब उसकी मर्जी से होता है तो गलत तो कुछ भी नही होता होगा, या वो ज़ान बूझ कर गलत करवाता है हमसे और फिर हमे ही जहन्नुम मे फेंक देता है?


सलीम - ऐसे नही बोलते, कुफ्र होता है।
साहब सिंह - तो क्या इस्लाम मे चर्चा, तर्क और बहस पर पाबंदी है?
सलीम - नहीं। पर अल्लाह पर सवाल नही उठाने चाहिए?
साहब सिंह - जब तक हम सवाल नहीं करेंगे, तब तक यह कैसे मालूम पडेगा कि सामने अल्लाह है या उसके भेस मे शैतान?
सलीम - मौलवी साहब ने यह तो बताया ही नहीं।


सलीम - साहब सिंह तुमको इतना ज्ञान कहां से आया?
साहब सिंह - मैने तुम्हारे कहे अनुसार "ढंग से अध्ययन" किया, तो मुझे मालूम पडा।
सलीम - कहां अध्ययन किया यह सब?
साहब सिंह - ब्लॉग पर ही, सुरेश चिपलूनकर और बी एन शर्मा को पढो। फिरदौस और उम्मी को पढो।


सलीम - अरे यार तुमने तो बहुत लोगो को पढ लिया। सच मे तुमने मेरे दिमाग के सारे तार झनझना दिए, तुम मेरे सही मायने मे सच्चे दोस्त हो, अब तक मैं कितना गलत सोचता था, तुमने मेरे सोच को सही दिशा दे दी। अब तक मुझे मेरे मौलवी जो बताते गये मैं वही रटता गया, सच्चे मायने मे ढंग से अध्ययन तो तुमने किया है।



निवेदन - भाईयों यही सारे तर्क किसी भी धर्म के लिए दिए जा सकते हैं अतः आप सकारात्मक सोचें नकारात्मकता से सलीम के जैसे औंधे मुँह गिरे नज़र आएंगें।

Sunday, March 27, 2011

कठमुल्लों की तडप

ऐसा सभी मानते हैं कि आप जिस प्रकार का व्यवहार दूसरों के साथ करेंगे दूसरे भी वैसा ही आपके साथ वैसा ही व्यवहार करेंगे। यह प्राकृतिक नियम है। इसका अनुपम उदाहरण अभी पाकिस्तान को प्राप्त हो गया। पाकिस्तान मे इस्लाम के अतिरिक्त अन्य धर्मावलिम्बियों के साथ सदैव ही उपेक्षापूर्ण (अपितु शत्रुतापूर्ण) व्यवहार होता आया है। कभी हिन्दु अथवा सिख अगवा कर लिए जाते हैं "ज़जिया" के लिए, तो कभी उनकी बेटियों को उठा लेते हैं और जबरन धर्म परिवर्तन कर किसी के पल्ले बांध देते हैं। और जब इन सबसे मन न भरे तो ईशनिन्दा का आरोप लगा किसी को भी जेल भिजवा देते हैं।


पाकिस्तान मे अनेक मंदिर एवं गुरुद्वारे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों मे बदल गए हैं, तो कई अपनी पहचान खो कर कूडाघर अथवा अन्य सामुदायिक उपयोग के स्थल बन चुके हैं। पाकिस्तान मे अल्पसंख्यकों की धार्मिक मान्यता को कितना महत्वपूर्ण मानते हैं इस बात से ही मालूम पडता है। जब ये ऐसी हरकतें करते हैं तो इन्हे अपना कृत्य पौरुष का प्रदर्शन लगता है, इन्हे लगता है कि इस प्रकार ये दुनिया को अपने सामर्थ्य का परिचय दे रहे हैं।


ऐसे मे जब विरोधियों ने भी इनको इनकी भाषा मे जवाब देना प्रारम्भ किया तो इनको मिर्ची लग गई। अरे भाई जब खुद नही झेल पाते हो दूसरों की ऐसी हरकतें तो उंगली क्यों करते हो? उंगली करोगे तो कोइ न कोइ तो उंगली मरोडेगा ही।

Saturday, March 19, 2011

अनवर जमाल के द्वारा लिया गया एक प्रशंसनीय कदम

आश्चर्य, आश्चर्य, महा आश्चर्य - गुरु घंटाळ महोदय ने खण्डित भारत की तस्वीर को पूर्ण भारत के नक्शे से बदल दिया है।
जमाल जी आपको इस अच्छे कार्य के लिए बहुत साधुवाद। आप ऐसे ही करते रहे तो मेरी दुकान बंद हो जाएगी और मैं बहुत सुखी इंसान हो जाऊंगा, क्योंकि मेरा विरोध अनवर जमाल से नही उन बातों से है जिनका विरोध आपने मेरे ब्लॉग पर देखा, मेरी मौत एक सुखद घटना होगी और आपका नव अवतरण उससे भी सुखद।

आशा है यह उजाला कायम रहेगा।

Friday, March 18, 2011

गुरु घंटाळ भागे तो अब मोर्चा चेले ने संभाला है

आज जब समस्त विश्व जापान के साथ इस दुःख की घडी मे उनके साथ खडा है, उनके दुःख को कम करने एवं उनके मदद के लिए हर संभव प्रयत्न करने के लिए आतुर दीखता है ऐसे मे भी कुछ नर पिशाच धार्मिक एजेंडा ले कर अपनी घॄणात्मक सोच से उबर नही पाते।

गुरुघंटाल तो महान थे ही उनके चेले सलीम उनसे भी दो कदम आगे निकले - जापान की आपदा को वहां पर धर्म प्रचार पर लगी पाबंदी से जोड कर देख रहा है यह मूर्ख व्यक्ति। जब सतीश चन्द्र सत्यार्थी जी ने इस पर आपत्ति जताई तो यह कुटिल कहता है कि मेरा कहना ऐसा नही था, इसे लगता है कि लोग इसकी बात मे उलझ जाएंगे, पर इसे नही मालूम कि दुनिया इसके जैसे मूर्खों को अच्छी तरह पहचानती है।

आश्चर्य तो यह है कि यह सब उस धर्म के प्रचार हेतु हो रहा है जिसमे डॉ कलाम जैसे लोग भी हैं।

Friday, March 11, 2011

दोषी कौन ?, भगवान या इंसान The duty of man

कहते हैं कि जो जैसा होता है उसे सब वैसे ही दीखते हैं।

एक बार एक साधु रास्ते मे बेहोश हो गिर पडा, उधर से गुजरते एक बेवडे ने सोचा कि ज्यादा पीने से ऐसा हुआ है, चोर ने सोचा कि चोरी करने के बाद बचने के लिए साधु वेश मे नाटक कर रहा है जबकि एक साधु ने सही पहचानते हुए उनका उपचार किया। इसी प्रकार यदि ज़माल को सब चोर दिखते हैं सभी बेईमान दिखते हैं तो ज़माल का इमान कैसा होगा खुद बखुद समझ आ जाता है।

बेचारे मंजुनाथ, सत्येन्द्र नाथ इत्यादि की शहादत की कीमत वो क्या जानेगा जो अपने देश की आत्मा को न जान सका।


http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/duty-of-man_9894.html

Friday, March 4, 2011

Women in the society आदमी के लिए ईनामे खुदा है औरत by Anwer Jamal

Women in the society आदमी के लिए ईनामे खुदा है औरत - ब्लॉग का शीर्षक ही बताता है कि हमारे गुरु घंटाल औरतों को वस्तु की श्रेणी मे रखते हैं उन्हे "ईनाम" समझते हैं, ऐसे मे इनसे ज्यादा की उम्मीद तो क्या रखना। ऐसे मे यह लोग औरत की कितनी इज्जत करते हैं अपने आप मे समझ मे आ जाता है, किसी के समझाने की जरूरत नही रहती।


http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/women-in-society-by-anwer-jamal.html

Thursday, March 3, 2011

Islam is Sanatan . सनातन है इस्लाम , मेरा यही पैग़ामby Anwer Jamal

हमारे गुरु घंटाल को ऐसा क्यों भ्रम है कि सब उनके जैसे ही हैं, अब अपनी ही पोस्ट को हॉट करने के लिए खुद ही भला कोइ क्यों कमेंट देगा (हां मेरे गुरु घंटाल यह कर सकते हैं कई फर्जी id से, IMPACT, etc…)

पवन जी से मेरी शिकायत - कौवे की तुलना मेरे गुरु घंटाल से कर के उसका अपमान क्यों किया? आगे से ऐसा न करें। अगर ऐसी दुश्चेष्टा दोबारा की तो काक भुशुण्डी के वंशज आपके खिलाफ आंदोलन करेंगे।

मैने व्यर्थ ही अपने गुरु घंटाल के ज्ञान पर शंका की, ये ज्ञान उन्होने मिर्गी के दौरों के दौरान मिले, इसमे कोइ गडबड नही हो सकती।

मिश्र जी आप भी किससे स्पष्ट उत्तर मांग बैठे?


http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/islam-is-sanatan-by-anwer-jamal.html

Monday, February 28, 2011

Prejudice मेरे बारे में बदगुमानियों के पीछे एक बड़ी वजह आपकी ज़हनियत भी है। क्या आप इसे स्वीकार करते हैं ?

हमारे गुरु घंटाल जी का एक प्रिय शगल है किसी एक बंदे को ले लो, उस पर अपनी superiority का रंग जमाने की कोशिश करना।, इस बार नम्बर था अपर्णा बहन का। लिखते हैं कि "सबमें मैंने यही लिखा है कि ईश्वर एक है और उसका धर्म भी एक ही है।" पर चुपके से काम की बात गोल कर गए, यह नही लिखा कि वो ईश्वर वही है जिसे मैं मानता हूं, शेष सब गलत है (नही तो और क्या कारण है बार बार वेदों एवं अन्य धर्म ग्रन्थ, दूसरे धर्म के भी, को प्रक्षिप्त कहना?)

अपर्णा जी, आप को जो बात समझ मे आ गई मैं उसी को यहां सबके सामने रख रहा हूँ, मेरा मकसद इस ब्लॉग को प्रारम्भ करने का सिर्फ यही है। जो काम आपके भैया ने प्रारम्भ की है (भेड़िया को expose करने का) मैं उसको ही पूरा कर रहा हूँ, वैसे ्तो लोग इस भेड़ के खाल मे छिपे भेडिए को पहचानने लगे हैं पर मैने सोचा कि इस कार्य को तनिक व्यवस्थित ढंग से कर दूं।

और हां आपके गजल के बोल इन्होने अपने टिप्पणी बाक्स पर लगाया पर कहीं कोइ credit किधर भी दिया क्या? चोर मनोवृत्ति के व्यक्ति से और क्या अपेक्षा कर सकते हैं हम?

http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/prejudice.html

Sunday, February 27, 2011

जो नेक रहेगा , वही एड्स से बचेगा . Aids

गुरु घंटाल महोदय के परम मित्र अयाज़ अहमद (अपने नाम के आगे डॉ लगाते हैं, शायद जानवरों का इलाज करते हैं)ने एड्स का डर दिखाते हुए खतना कराने की सलाह दी है, अब सबसे ज्यादा मुस्लिम अफ्रीका मे, सबसे ज्यादा एड्स के मरीज़ अफ्रीका मे तो सीधी सी बात है खतना तो इसका इलाज़ होने से रहा, हाँ खतना मे १००% कटाने की बात कर रहे हों तो......................


http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/blog-post.html

Friday, February 25, 2011

One who is in search of truth must dive below . ठिकाना है राम रहीम का हर दिल में रब एक है, ढूंढो तो यहीं मिल जाएगा

शर्मा जी ने अपने पोस्ट मे लिखा था कि क्यों मुस्लिम शयरों से नफ़रत करते हैं, ये ज़नाब कैसे अलग होते? इनका इल्ज़ाम तो देखिए - "अक्सर शायर लोगों की ख़ुशी ध्यान मेँ रखकर अपना कलाम पेश करता है और उसे पता होता है कि अगर सच कह दिया तो बड़ा वर्ग नाराज़ हो जाएगा" अब हमारे गुरु घंटाल को कौन समझाए कि पराधीनता काल मे राष्ट्र साधना मे इन शयरों का बड़ा योगदान रहा है, अब आप ही बताईए कि 'रंग दे बसंती चोला' लिखने वाले ने किस से डर कर अपने बोल कमज़ोर किए, या वन्दे मातरम के बोल क्या हमारे लड़ाई का गुरु मंत्र नही था, पर चश्मा............... जी हां अगर चश्मा रंगीन हो तो सब एक ही रंग का दीखता है।



http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/one-who-is-in-search-of-truth-must-dive.html

Thursday, February 24, 2011

Kasab and Indians मुल्क और क़ौम को पैसे की हवस बर्बाद कर रही है

धूर्तों की सबसे बड़ी पहचान यह होती है कि वो छोटी बातों की तुलना बड़ी बातों से कर एक समान साबित करने की कोशिश करते हैं और इस भांति अपने को निर्दोष सिद्ध करने का प्रयत्न, अब चुंकि दूसरे पक्ष की भी कहीं गलती हो सकती है, परन्तु वह पक्ष छोटी गलती होने पर भी अपराध भाव से भर जाए यह इनका प्रयत्न रहता है, और इसी मे इनकी विजय है, क्योंकि अपराध भाव से भरा व्यक्ति अपना मुख नही खोलेगा, और ये ज़नाब अपनी कारगुजारी करते रहेंगें।
२६ नवंबर २००८ की घटना के समय हमारे TV चैनेलों का काम निश्चित रूप से गलत था और ताज़ के live प्रसारण से आतंकियों को लाभ मिला, पर TV कंपनिया इसको जानकर नही अनजाने मे कर गई और हमारे गुरु घंटाल जी को मौका मिल गया इन दोनो को एक बराबर खड़ा करने का, अब भला ये चूकने वाले थे भला?
अंत मे घोटाले को भी इन्होने युद्ध की श्रेणी मे रख दिया, और यह चाहते हैं कि इन सबको कसाब से अधिक ही सज़ा मिले (अर्थात प्रकारांत से कसाब को कम सज़ा दी जाए)
टिप्पणी मे अपनी आदत के अनुसार बात रख दी कि कानून व्यवस्था मे त्वरित निपटारे का प्रावधान नही जो कि इरान मे है, और हम उसे इसलिए नही अपना रहे क्योंकि इरान इस्लामी राष्ट्र है, अब इन अक्ल के अंधों को कौन समझाए कि ऐसी व्यवस्थाएं विश्व के अनेक देशों मे हैं जिनमे से कई गैर मुस्लिम भी हैं, जैसे चीन पर जिस प्रकार ये महोदय हमेशा कहते आए हैं कि "क्या एक अच्छी बात केवल इसलिए न सीखी जाए कि वह मुस्लिम देश का दस्तूर है ?" उसी तर्ज़ पर क्या एक अच्छी बात के लिए चीन को सिर्फ इसलिए प्रशंसा न दी जाये क्योंकि वह एक गैर मुस्लिम राष्ट्र है?

जय गुरु घंटाल

http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/kasab-and-indians.html

Tuesday, February 22, 2011

Rape बलात्कार का मूल कारण और सही निवारण क्या है ? - Anwer Jamal

यह एक ब्लॉग है जिस पर मैं कुछ हद तक गुरु घंटाल को साधुवाद देने के करीब तक पहुँच गया था। निश्चित तौर पर ब्लात्कारियों के लिए मृत्यु दण्ड मेरी भी मांग है। पर यह जनाब अपने को विश्व मामलों का जानकार समझने की भूल कर बैठते हैं और गडबड कर बैठते हैं, इन्होने लिखा है कि (टिप्पणी मे) "अपने कथन के सुबूत में किसी इस्लामी देश की तुलनात्मक बलात्कार दर पेश करें" अब इन्हे कौन समझाए कि अरब देश मे समाचार पर sensor हैं अभी तक। क्या यह ज़नाब जानते हैं कि अरब देशों मे तापमान 50 degree celcius के ऊपर नही जाता, कभी भी gulf news online देख लीजीए, अब क्या हम इसको भी मानें? और वैसे भी अरब देशों मे घरेलू नौकरानियां तो इस शारिरिक शोषण का शिकार होती ही रहती हैं पर ये तो कुरान के अनुसार ज़ायज है न।

http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/rape-anwer-jamal.html

Monday, February 14, 2011

Father Manu मैं चैलेंज करता हूँ कि पूरी दुनिया में कोई एक ही आदमी यह साबित कर दे कि मनु ने ऊँच नीच और ज़ुल्म की शिक्षा दी है , है कोई एक भी विद्वान ? Anwer Jamal

रामपाल जी गांधी जी तो अब गुजर चुके हैं, ये जनाब तो तरुण विजय (पूर्व पाञ्चजन्य संपादक) के नाम पर एक फर्जी लेख अंजुमन ब्लोग पर छाप चुके है जिसमे उन्होने इस्लाम की बडाई की है, तो आप इनसे ऐसी उम्मीद न रखें कि यहां सच मिलेगा।


http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/father-manu-anwer-jamal_25.html

Saturday, February 12, 2011

Innocent woman अमन का पैग़ाम और औरत का मक़ाम ?

हमारे गुरु घंटाल के नज़रों के सामने से दो लेख गुज़रे, और दोनो के विषय उन्हे अत्यन्त प्रिय हैं अतः लिखने बैठ गए।
पहला औरत - तो ये जनाब तो औरतों के दीवाने हैं, और उन्हे कमतरी का एहसास दिला कर खुद को उनका रहनुमा बनने मे ज़नाब को बड़ा मज़ा आता है।
दूसरा धर्म - अब यह तो इनका दूसरा सबसे प्रिय विषय है, क्योंकि औरतों को दबाने के लिए इन्हे (अ)धर्म का सहारा जो चाहिए होता है?, यह कहते हैं कि धर्म बदला नही जा सकता पर खुद दूसरों को अपने धर्म मे सम्मिलित होने की दावत देते रहतें हैं।


http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/innocent-woman.html

Wednesday, February 9, 2011

Hindu Rashtra for a muslim क्या हिन्दू राष्ट्र में एक मुसलमान के लिए कोई जगह नहीं है ?

हमारे गुरु घंटाल को परेशानी है कि रचना जी ने उन्हे क्यों कर इस अधिकार से वंचित रखा कि वो हिन्दु धर्म पर प्रश्न उठा सके जबकि अमित जी को इससे मुक्त रखा है, इससे तो गुरु घंटाल को सष्ट रूप से समझ जाना चाहिए था कि उनकी पोल सबके सामने खुल चुकी है, अब सब जानते हैं कि उनके प्रश्न जो होते हैं वस्तुतः उनके पीछे कोइ न कोइ षडयंत्र / कुत्सित विचार कार्य कर रहा होता है, ये निर्दोष प्रश्न नही होते जो ज्ञान प्राप्ति अथवा दोष उन्मूलन हेतु रखे गये हों।

पर गुरु घंटाल महोदय तो बेशर्मों की भांति डटे हुए हैं। बिन्दुवार चर्चा करते हैं इस ब्लॉग पर

१. हिन्दु धर्म के बारे मे कहने का हक सिर्फ हिन्दुओं को क्यों - जी नही , हमे समस्या है सिर्फ तुम्हारे जैसे भेड की खाल मे छिपे भेडियों से।
२. सप्रमाण बात कहने का हक क्यों नही - बिल्कुल नही, हमे प्रमाण नही अपितु निर्मल हृदय चाहिए (ठीक उसी प्रकार जैसे तुम चाहते हो कुरान पर)
३. मैक्समूलर एवं अन्य पश्चिमी विद्वानों ने तथ्यों को अपनी सुविधानुसार तोड़ा मरोड़ा है, उसको प्रमाणिक नही मान सकते।
४. उसमे से उद्ध्रण हम नही देगें पर क्या आप पुराणों एवं उपनिषदों के भ्रामक एवं भ्रांत उद्धरण देने बंद करेण्गे? पहले खुद इसको अपनाइए फिर हमसे कहिए।
५. पश्चिमी दुनिया को कहें कि वो उपनिषद छोडे और वेदो से ज्ञान ले।
६. दूसरों को शोध करने से हम रोकना नही चाहते हमारा सिर्फ इतना मंतव्य है कि शोध के नाम पर गंदगी न फैलाई जाए।
७. शोध निबंधो की हिन्दु समाज मे कोइ मान्यता नही है।
८. इस विषय पर मुझे जानकारी जुटानी होगी तब टिप्पणी करूंगा।
९. रचना जी को हिन्दू अवधारणा बेहतर तरीके से ज्ञात है, इसमे सबके लिए स्थान है, जबकि तुम्हारे अनुसार सिर्फ कुरान मानने वालों के लिए ही यह जहां है अतः उन्होने तुम्हे हिन्दू मानने से इंकार किया।
१०. अगर तुम अपने को कल पागल कहना शुरु कर दो तो हम क्या करें? हिन्दु कहते हो तो समरसता सीखों दूसरों को स्वीकार करना सीखो।
११. मुसलमान होना हिन्दू होने का विलोम नही है ऐसा कई हिन्दू मानते हैं पर क्या देवबंदी और बरेलवी भी ऐसा ही मानते हैं?
१२. हिन्दू शब्द की परिभाषा रचना जी ने दी हुई है, अगर पल्ले पडा हो तो ठीक अन्यथा हम जानते हैं कि थोथा चना बाज़े घना।

गुरु घंटाल ने यह तो कह दिया कि इस्लाम मे मदिरा वर्जित है, पर यह नही बताया कि यह वर्जित वस्तु जन्नत मे क्या कर रही है?

http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/hindu-rashtra-for-amuslim.html

Tuesday, February 8, 2011

Hindu Rashtra for a muslim क्या हिन्दू राष्ट्र में एक मुसलमान के लिए कोई जगह नहीं है ?

जमाल की पुरानी आदत है, किसी भी बात का अधकचरा ज्ञान मिला नही कि दौड पडे दुनिया को बताने कि देखो मै कितना ज्ञानी हूँ। यहां बात हो रही है सिख गुरुओं द्वारा बलि देने की - अब इस अक्ल के पैदल को कौन समझाए कि सिख गुरुओं मे बलि की परंपरा नही रही, मात्र दशम् गुरु, श्री गुरु गोविंद सिंह द्वारा अनुयायियों कि परीक्षा लेने हेतु बलि का नाटक किया गया था। अब इसी घटना को पढ कर मूढमति जमाल ने सोचा कि सिख गुरु जरूर मांसाहार करते होगे, जबकि आज भी अमृत चखा सिख मांसाहार नही करते। पर मूढ लोगो को समझाने का कोइ लाभ है क्या? उस पर तुर्रा यह कि दूसरों पर अज्ञानी होने का आरोप मढ दिया इस अहंकारी व्यक्ति ने।

सारी दुनिया जानती है कि मुस्लिम सभी धर्मों पर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने हेतु धन, बल सभी प्रयोग करते हैं, और इल्जाम हिन्दुओं पर। बढिया है।

दूसरी श्रेष्ठतम जानकारी - हलाल करने से जानवर को कष्ट नही होता, वाहियात बातें तो कोइ जमाल से सुने। अगर किसी जानवर की गर्दन को आधा रेत कर छोड दो तो उसे कष्ट नही होता है, मूर्खता की भी हद होती है।

http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/hindu-rashtra-for-amuslim.html

Monday, February 7, 2011

Intellectual dwarfness राक्षस कौन है ? , बलि के विरोधी या हम सबके पूर्वज ?

गुरुजी हमेशा की तरह इस बार भी एक खास किस्म का चश्मा पहन कर ब्लॉग लिखने बैठे थे तो ज़ाहिर सी बात है कि उन्हे सिर्फ वो ही दिखाई देगा जो वो देखना चाहेगे, शेष का तो सवाल ही नही पैदा होता है। निश्चित ही इस संसार मे मांसाहार का एक महत्वपूर्ण स्थान है, पर "हरेक जाति और समुदाय के ज्ञानी पूर्वज और वीर सैनिक मांस खाते आए हैं यह इतिहास से सिद्ध है" ऐसा लिख कर क्या सिद्ध करना चाहता है जमाल, शंकराचार्य जी, या हमारे अन्य सिद्ध पुरुष लोग ज्ञानी नही थे। ऐसी ही किसी टिप्पणी को लेकर वो खुद हाय तौबा मचा देगा कि हाय मेरे सल्ल को गाली दी, हाय मेरे पूर्वज़ों को गाली दी, खुद ऐसा लिखते समय अक्ल पर पत्थर रख कर लिखता है ये।

भोजन का क्या असर पडता है हमारे चिंतन पर इस पर अनेक शोध हो रहे हैं और प्रत्येक शोध भारतीय चिंतन को सत्य सिद्ध कर रहा है, पर जमाल को इससे क्या फर्क, वो तो बस अपनी ही हांकेगा

जमाल को हिन्दु शब्द की व्याख्या का उच्चतम न्यायालय का निर्णय भी नही दिखता, क्योंकि फिर वो अनर्गल बातें कैसे करेगा?

http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/intellectual-dwarfness.html

Thursday, February 3, 2011

The right view about God विष्णु अर्थात पालनहार तो सदा से जाग रहा है लेकिन लोगों के ज्ञान चक्षु कब खुलेंगे ? - Anwer Jamal

इस पोस्ट को देख कर मुझे तो यही लगा कि मेरे गुरु का मानना है विष्णु के इस जगत के पालनकर्ता हैं।

http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/07/right-view-about-god-anwer-jamal.html

Wednesday, February 2, 2011

Butterfly किसी मुफ़्ती के फ़तवे की वजह आज तक नाहक़ इतनी जानें न गई होंगी जितनी कि इस देश में डाक्टरों के क्लिनिक में रोज़ाना ले ली जाती हैं और कहीं चर्चा तक नहीं होता।

मैं पूरा ब्लॉग पढ गया अंत तक एक लाइन नही मिली विषय के बारे में।

उसके पहले हमारे साधु गुरु जी को "तितली टाइप लड़कियों" प्रयोग करते हुए शर्म भी नही आई और अब भी कहेंगे कि मै तो स्त्रियों कि इज्जत करता हूँ।

अंत मे - क्या डॉक्टरों का भी विरोध होना चाहिए, या मुल्लओं को भी छूट मिलनी चाहिए जान लेने की, सोच क्या है, शायद लेखक को भी मलूम नही थ इसलिए कुछ लिखा नही।


(http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/07/butterfly-anwer-jamal.html)

Tuesday, February 1, 2011

पालनहार प्रभु ने मनुष्य की रचना दुख भोगने के लिए नहीं की है।

हमारे गुरु ने फिर से झण्डा उठाया है कि कुरान ही एकमात्र सत्य है, अब अगर ऐसे मे कोइ कुरान पर इमान न लाए तो उसके साथ क्या करना चाहिए? आप लोग तो समझदार हैं। कुरान साफ कहता है कि काफ़िरों का सफाया।


(http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/05/blog-post.html)

Monday, January 31, 2011

गाय काटने वाले मुसलमानों की प्रार्थना ऊपर वाला कैसे सुन सकता है जी ? - भोले भाले गिरी जी ने पुराण मर्मज्ञ महर जी को टोका । question ?

यह पोस्ट पढ़ा और पाया कि बी एन शर्मा जी ने जो कुछ भी लिखा है वो सब सत्य है, जमाल जैसे मुस्लिम मल मूत्र मे आनन्द ढ़ूढते हैं, उन्हे सिर्फ और सिर्फ यौन की बातें ही सुख पहुँचाती हैं, पशु मैथुन उनका प्रिय शगल है।

जमाल की घटिया मानसिकता इस पोस्ट मे खुल कर सामने आ गई।


(http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/04/question.html)

Sunday, January 30, 2011

इस्लाम परिवार, तथा पुरूषों, महिलाओं और बच्चों के योगदान के बारे में क्या दृष्टि कोण रखता है ?

हमारे गुरु ने दुनिया को सिर्फ और सिर्फ अरब के चश्मे से देखा है, इसीलिए तो सौतेली माँ से विवाह उसे सामान्य लगता है कहता है कि इस्लाम पूर्व यह ज़ायज था - होगा पर कहां? वहीं अरबी जंगलियों मे, यहां तो सौतेली मां ही क्यों, पिता के उम्र की सभी महिलाएं मां समान मानी जाती थी। बेटी लक्ष्मी का रूप थी, और सदैव पूजनीय थी।

यह तो मलेच्छ मुस्लिम राक्षसों के द्वारा महिलाओं को उठाने की घटनाओं के चलते स्त्रियों की रक्षा की बात सोचनी पडी अन्यथा भरत भूमि पर इसका कोइ खतरा कभी नही रहा।
कहतें हैं कि कि गैर मुस्लिमों के यहाँ परिवार टूटा हुआ है, कोइ जरा पूछे कि शाहबानो को किस श्रेणी मे रखोगे? अगर वो मुस्लिम है तो उसका परिवार कहां है? और अगर वो टूटे परिवार का हिस्सा है तो उसका धर्म क्या है?

गौर फरमाएं "इस्लाम ने परिवार के सतीत्व, उस की पवित्रता, पाकदामनी, और उस के नसब (वंशावली) की रक्षा की है" कैसा नसब? आज इससे विवाह, कल तलाक, परसों दूसरे के साथ गुलछर्रे, बढिया नसब है।

(http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/03/blog-post_26.html)

Saturday, January 29, 2011

ऋषियों को नाहक़ इल्ज़ाम न दो The truth about great rishies ? part second

अनवर जमालगोटा जी को बड़ा कष्ट है कि हिन्दू धर्म ग्रन्थों के साथ खिलवाड हो रहा है, इसके लिए वो दिन रात मगरमच्छी आंसू बहाते रहते हैं। इस पर बड़ा श्रम भी करते हैं।

अपने अरब स्वामियों के द्वारा दिए गये पैसों पर चलने वाले मुद्रक संस्थाओं मे कुछ भाडे के टट्टू पाल रखे हैं जो कि इनके कहे अनुसार लिख देते हैं और ये उसी का हवाला दे कर दुनिया मे नाचते रहते हैं।

दुनिया से यत्न पूर्वक इस बात को छुपाते हैं कि पुराणों का लेखन मुगल काल मे हुआ था, स्वमेव ही समझ मे आने वाली बात है कि ऐसे मे उस पर क्या प्रभाव रहा होगा।

संस्कृत की गलत व्याख्या करके गलत को सही सिद्ध करने का अनथक प्रयत्न करते रहते हैं।

हमारे गुरुजी की वास्तविक पीडा यह है कि वो जिन बातों की आड ले कर दूसरे धर्मों को नीचा दिखाना चाहते हैं, वे इस्लाम मे अधिकारिक रूप से सम्मिलित हैं, यथाः-
कुरान बलात्कार का आदेश देता है, मुहम्मद खुद बलात्कारी था।

मुहम्मद ने अपनी पुत्रवधु (जैनब) से बलात्कार किया।

मुहम्मद वेश्याओं के साथ सोता था

मुहम्मद दूसरों की उपस्थिति मे संभोग करता था

मुहम्मद उँट का पेशाब पीता था

इस्लाम के अनुयायी छोटे बच्चों से यौन संबंध बनाते हैं http://www.childtrafficking.com/Docs/mattar_2003__trafficking_mi.pdf

इस्लाम के अनुसार गुलामों पर अत्याचार ज़ायज है HYPERLINK "http://wikiislam.net/wiki/Al-'Azl"http://wikiislam.net/wiki/Al-'Azl

विधवा महिला का जीवन The hard life of Indian widows.

हमारे गुरु अनवर भंडुवा जमाल को एक ब्राहमण विधवा को ब्राहमण समाज़ द्वारा मेहनत मज़दूरी करने से रोकने पर बड़ा दुःख हुआ। होना भी चाहिए, पर मुझे कुछ बातें समझ नहीं आईः-
१. अगर उस विधवा पर नौकरी नही करने का दबाव है तो वो गांव से इतनी दूर आकर नौकरी कैसे कर लेगी, ऐसे मे वो हमारे गांडुश्री गुरु से नौकरी क्यों मांग रही थी?
२. विधवा विवाह - हिन्दु समाज़ मे अब कोइ आश्चर्य की बात नही रहे, परन्तु यदि कोइ जोड नही मिलता तो क्या जबरदस्ती मेहर की रकम के लिए किसी के गले बांध दी जाए यह महिला?
३. इस महिला के द्वारा चरखा कात कर धनोपार्जन किया जा रहा है, जिसमे वो समर्थ है, शारिरिक श्रम के बारे मे कह नही सकते, क्यों हमारे गांडु गुरु इसके पीछे पड़े हैं?
४. कितनी मुस्लिम विधवा महिलाओं को काम नही करने दिया जाता - गांडुश्री उस पर अपने विचार कब रखेंगें?

(http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/03/hard-life-of-indian-widows.html)

Thursday, January 27, 2011

ऋषियों को नाहक़ इल्ज़ाम न दो Do you know the truth about great rishies ? part first

गांडु गुरु अनवर जमाल को दूसरे धर्म के बारे मे कुछ अनर्गल लिखने को मिले तो ज़रा भी मौका नही चूकता है, पर अगर उसके धर्म बारे मे लिखो तो उसे मिर्च लग जाती है।

यहाँ ब्लॉग http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/01/do-you-know-truth-about-great-rishies.html मे वो हिन्दू महर्षियों के बारे मे गलत - गलत कहानियों का प्रचार कर रहा है, पूछने पर गांडू बोलेगा कि यह तो किताबों मे लिखा है, अब इसी प्रकार रंगीला रसूल किताब मे जो कुछ लिखा है जैसे मुहम्मद ने अपनी पुत्रवधु से बलात्कार किया, मुहम्मद अपनी बहनों से संभोग किया, मुहम्मद ने अपने सभी स्त्री संबंधियों से यौन संबंध बनाए ऐसा भी बताओ तो इसको चक्कर आने लगेंगें।


(http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/01/do-you-know-truth-about-great-rishies.html)

Wednesday, January 26, 2011

आदरणीय चिपलूनकर जी

हमारे गांडु गुरु को चिपलुनकर नाम के एक महोदय बहुत सताते हैं, और जैसे शेन वार्न के सपने में सचिन आते थे, ये जनाब वैसे ही हमारे गुरु जी के सपने मे घुस आते हैं और हमारे गुरु जी बिस्तर गीला कर देते हैं। देखो न, जो कान चिपलुनकर नही कर रहे उसमे भी चिपलुनकर जी से डर रहे हैं हमारे गांडु गुरु।

जनाब कह रहे हैं कि क्षेपक की घटनाएं कुरान के साथ हुई हैं, पर आलिमों ने पहचान कर उन्हे अलग कर दिया और मुनाफ़िक करार दिया, चलो मान लेते हैं पर इस्लाम के अलग अलग फिरके अलग अलग हदीसों को मुनाफ़िक मानते हैं, अर्थात अभी यह निश्चित नही कि असली कौन, सब अपने वाले को असली मानते हैं, ठीक इसी प्रकार हिन्दु भी अलग अलग मत को सही मानते हैं, फिर क्या अंतर रहा? कैसे मान लें कि कुरान मे कोइ मिलावट नही है पर हिन्दु ग्रन्थों मे है? पर हमारे गांडु गुरुजी को कौन समझाए?




(http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/03/blog-post_08.html)

Sunday, January 23, 2011

आपकी-हमारी गाढ़ी कमाई पर डाका कौन डाल रहा है ?

अनवर जमाल, हमारे गांडू गुरु को एक जानकारी मिली और अपनी कम-अक्ली के चलते उन्होने यह जानने की कोशिश किए बिना कि इसमे सच्चाई कितनी है, एक पोस्ट पेल दी। जानकारी - "चुनाव आयोग का कहना है कि देश में 1200 राजनीतिक पार्टियां पंजीकृत हैंण्ण्ण्इनमें से सिर्फ 16 फ़ीसदी ही यानि 200 पार्टियां ही राजनीतिक गतिविधियों में लगी हैं बाकी ज्यादातर पार्टियां राजनीतिक चंदे के नाम पर काली कमाई को धो कर व्हाईट करने में लगी हैं..." अब कोइ जा कर मेरे गधे गुरु से पूछे कि चुनाव आयोग कब से आर्थिक गतिविधियों का हिसाब किताब लेने लग गया और कब से पार्टियां ये देने लगी? इसके पारदर्शिता के लिए चंदा चेक से लेने का प्रस्ताव तो दशकों से अटका हुआ है क्योंकि कोइ अपनी आर्थिक गतिविधि का खुलासा नही करना चाहता है, पर हमारे गुरु जी..............

(http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/01/organised-crime-against-india.html)

Thursday, January 20, 2011

भाषा बनी हथियार

हमारे गुरु गांडुश्री अनवर जमाल को उस हर वस्तु से नफरत है जो किसी भी प्रकार से हिन्दुस्तान की प्राचीन सभ्यता की बड़ाई करे, संस्कृत उसमे से एक है। अब गंवार अरबों की भाषा तो किसी भी कीमत पर संस्कृत से प्रतियोगिता नही कर सकती है तो गुरु जी ने पंजाबी के कंधे पर बंदूक रख कर गोली दागी है इस बार।

लडा दो, दो भारतीय भाषाओं को आपस में।

और हिन्दु बेवकूफ तो समझने से रहे इस चाल को।

अहसास की परतें - समीक्षा

प्रिय मित्रों,

मैने यह महसूस किया कि हमारे मध्य कुछ ब्लोग ऐसे हैं जिनका संदेश जनता ठीक से ग्रहण नही कर पा रही है, विशेषकर हिन्दु भाई लोग। ऐसे ब्लोग की समीक्षा लिख कर उनको समझाया जाएगा कि कैसे उच्च विचारों का प्रतिपादन करते हैं ये ब्लोग।

इस कड़ी मे मुझे सबसे पहला नाम अनवर जमाल का याद आया अतः इनसे ही इस ब्लोग का प्रारंभ करेंगे।