हमारे गुरु घंटाल को परेशानी है कि रचना जी ने उन्हे क्यों कर इस अधिकार से वंचित रखा कि वो हिन्दु धर्म पर प्रश्न उठा सके जबकि अमित जी को इससे मुक्त रखा है, इससे तो गुरु घंटाल को सष्ट रूप से समझ जाना चाहिए था कि उनकी पोल सबके सामने खुल चुकी है, अब सब जानते हैं कि उनके प्रश्न जो होते हैं वस्तुतः उनके पीछे कोइ न कोइ षडयंत्र / कुत्सित विचार कार्य कर रहा होता है, ये निर्दोष प्रश्न नही होते जो ज्ञान प्राप्ति अथवा दोष उन्मूलन हेतु रखे गये हों।
पर गुरु घंटाल महोदय तो बेशर्मों की भांति डटे हुए हैं। बिन्दुवार चर्चा करते हैं इस ब्लॉग पर
१. हिन्दु धर्म के बारे मे कहने का हक सिर्फ हिन्दुओं को क्यों - जी नही , हमे समस्या है सिर्फ तुम्हारे जैसे भेड की खाल मे छिपे भेडियों से।
२. सप्रमाण बात कहने का हक क्यों नही - बिल्कुल नही, हमे प्रमाण नही अपितु निर्मल हृदय चाहिए (ठीक उसी प्रकार जैसे तुम चाहते हो कुरान पर)
३. मैक्समूलर एवं अन्य पश्चिमी विद्वानों ने तथ्यों को अपनी सुविधानुसार तोड़ा मरोड़ा है, उसको प्रमाणिक नही मान सकते।
४. उसमे से उद्ध्रण हम नही देगें पर क्या आप पुराणों एवं उपनिषदों के भ्रामक एवं भ्रांत उद्धरण देने बंद करेण्गे? पहले खुद इसको अपनाइए फिर हमसे कहिए।
५. पश्चिमी दुनिया को कहें कि वो उपनिषद छोडे और वेदो से ज्ञान ले।
६. दूसरों को शोध करने से हम रोकना नही चाहते हमारा सिर्फ इतना मंतव्य है कि शोध के नाम पर गंदगी न फैलाई जाए।
७. शोध निबंधो की हिन्दु समाज मे कोइ मान्यता नही है।
८. इस विषय पर मुझे जानकारी जुटानी होगी तब टिप्पणी करूंगा।
९. रचना जी को हिन्दू अवधारणा बेहतर तरीके से ज्ञात है, इसमे सबके लिए स्थान है, जबकि तुम्हारे अनुसार सिर्फ कुरान मानने वालों के लिए ही यह जहां है अतः उन्होने तुम्हे हिन्दू मानने से इंकार किया।
१०. अगर तुम अपने को कल पागल कहना शुरु कर दो तो हम क्या करें? हिन्दु कहते हो तो समरसता सीखों दूसरों को स्वीकार करना सीखो।
११. मुसलमान होना हिन्दू होने का विलोम नही है ऐसा कई हिन्दू मानते हैं पर क्या देवबंदी और बरेलवी भी ऐसा ही मानते हैं?
१२. हिन्दू शब्द की परिभाषा रचना जी ने दी हुई है, अगर पल्ले पडा हो तो ठीक अन्यथा हम जानते हैं कि थोथा चना बाज़े घना।
गुरु घंटाल ने यह तो कह दिया कि इस्लाम मे मदिरा वर्जित है, पर यह नही बताया कि यह वर्जित वस्तु जन्नत मे क्या कर रही है?
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/hindu-rashtra-for-amuslim.html
are sir ji....muslmano ka itihaas pad lo.jis jis country me h waha inko takleef hai...
ReplyDeletehr dusre kom ke log inke dushmn h.
tasveero ka naam khub diya aap ne
ReplyDeleteपहली बार आपके ब्लॉग पे आकर बहूत अच्छा लगा सत्य की सदैव ही जीत होती है
ReplyDeleteझूठ की उम्र कुछ ही दिन होती है . यह महर्षि दयानंद जी के सैनिक ही हैं जो
सत्य और वेद के सहारे बड़ी से बड़ी जंग भी जीत सकते हैं .
बस आपसे अनुरोध है की सत्य की बागडोर कभी ना छोड़े. तथा जहां तक हो सके हमारी भाषा असभ्य ना हो
बहुत सही कहा आप ने, इतनी निर्भीकता स्वामी दयानंद के बाद आपके लेखों में देखने को मिल रही है स्वामी दयानंद जी ने तो एक पूरा अध्याय इस्लाम की कुरीतियों, कुरान एवं मुहम्मद की आलोचना को समर्पित कर रखा है सत्यार्थ प्रकाश मे
अच्छी प्रस्तुति हार्दिक शुभकामनाएं!
bahoot khoob....
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