गुरुजी हमेशा की तरह इस बार भी एक खास किस्म का चश्मा पहन कर ब्लॉग लिखने बैठे थे तो ज़ाहिर सी बात है कि उन्हे सिर्फ वो ही दिखाई देगा जो वो देखना चाहेगे, शेष का तो सवाल ही नही पैदा होता है। निश्चित ही इस संसार मे मांसाहार का एक महत्वपूर्ण स्थान है, पर "हरेक जाति और समुदाय के ज्ञानी पूर्वज और वीर सैनिक मांस खाते आए हैं यह इतिहास से सिद्ध है" ऐसा लिख कर क्या सिद्ध करना चाहता है जमाल, शंकराचार्य जी, या हमारे अन्य सिद्ध पुरुष लोग ज्ञानी नही थे। ऐसी ही किसी टिप्पणी को लेकर वो खुद हाय तौबा मचा देगा कि हाय मेरे सल्ल को गाली दी, हाय मेरे पूर्वज़ों को गाली दी, खुद ऐसा लिखते समय अक्ल पर पत्थर रख कर लिखता है ये।
भोजन का क्या असर पडता है हमारे चिंतन पर इस पर अनेक शोध हो रहे हैं और प्रत्येक शोध भारतीय चिंतन को सत्य सिद्ध कर रहा है, पर जमाल को इससे क्या फर्क, वो तो बस अपनी ही हांकेगा
जमाल को हिन्दु शब्द की व्याख्या का उच्चतम न्यायालय का निर्णय भी नही दिखता, क्योंकि फिर वो अनर्गल बातें कैसे करेगा?
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/intellectual-dwarfness.html
bilkul sahi likha hai aapne .masahar hindu dharm me many nahi hai .aap ne guru ji ke liye visheshan poocha hai to mere khyal se unhe hum ''guru ghantal'' kee sangya se vibhushit kar sakte hai .achchhi post ke liye hardik shubhkamnaye .
ReplyDeleteधन्यवाद बहन, मैं गुरु घंटाल सब जगह update कर दूंगा
ReplyDeleteinki sameeksha karke aapne nek kam kiya hai......
ReplyDelete'guru ghantal' bahut sahi hai.....
ye kaya sabit karna chahenge.....saboot maya sabit
hote dikh rahe hain.....
sadar.