Saturday, February 12, 2011

Innocent woman अमन का पैग़ाम और औरत का मक़ाम ?

हमारे गुरु घंटाल के नज़रों के सामने से दो लेख गुज़रे, और दोनो के विषय उन्हे अत्यन्त प्रिय हैं अतः लिखने बैठ गए।
पहला औरत - तो ये जनाब तो औरतों के दीवाने हैं, और उन्हे कमतरी का एहसास दिला कर खुद को उनका रहनुमा बनने मे ज़नाब को बड़ा मज़ा आता है।
दूसरा धर्म - अब यह तो इनका दूसरा सबसे प्रिय विषय है, क्योंकि औरतों को दबाने के लिए इन्हे (अ)धर्म का सहारा जो चाहिए होता है?, यह कहते हैं कि धर्म बदला नही जा सकता पर खुद दूसरों को अपने धर्म मे सम्मिलित होने की दावत देते रहतें हैं।


http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/innocent-woman.html

4 comments:

  1. जमाल साहब अपने धर्म की ओर नहीं अपितु मानव के धर्म की ओर मानव को बोला रहे हैं। काश कि मानव अपने सत्य ईश्वर का ज्ञान प्राप्त कर ले।

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  2. सफत जी मानव धर्म सिर्फ कुरान से प्राप्त होगा ऐसा अगर कोइ कहता है तो वो इस्लाम का प्रचार का ही कार्य कर रहा है। गुरु घंटाल जी हमेशा कहते हैं कि कुरान पर इमान लाने से सब ठीक हो जाएगा, क्या कुरान पढने वाले सब साधु हैं? अगर हां तो मिश्र मे इतना बवाल क्यों? शरियत मे इतने सारे सजा के प्रावधान क्यों? (क्योंकि मुस्लिम तो गलती करेगा ही नही तो सजा किसको?) ऐसे मे ज़ोर अच्छे इंसान बनने पर देने की बज़ाए अगर कोइ शख्स कुरान पर इमान लाने पर दे तो वो सिर्फ और सिर्फ धर्मांतरण की बात कर रहा है।

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  3. शफत जी काश आप और जमाल सत्य को स्वीकार करने की हिम्मत प्राप्त कर लें।

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  4. kuch kehne ki jarurat nhi sab dikh reha hai

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