Friday, March 18, 2011

गुरु घंटाळ भागे तो अब मोर्चा चेले ने संभाला है

आज जब समस्त विश्व जापान के साथ इस दुःख की घडी मे उनके साथ खडा है, उनके दुःख को कम करने एवं उनके मदद के लिए हर संभव प्रयत्न करने के लिए आतुर दीखता है ऐसे मे भी कुछ नर पिशाच धार्मिक एजेंडा ले कर अपनी घॄणात्मक सोच से उबर नही पाते।

गुरुघंटाल तो महान थे ही उनके चेले सलीम उनसे भी दो कदम आगे निकले - जापान की आपदा को वहां पर धर्म प्रचार पर लगी पाबंदी से जोड कर देख रहा है यह मूर्ख व्यक्ति। जब सतीश चन्द्र सत्यार्थी जी ने इस पर आपत्ति जताई तो यह कुटिल कहता है कि मेरा कहना ऐसा नही था, इसे लगता है कि लोग इसकी बात मे उलझ जाएंगे, पर इसे नही मालूम कि दुनिया इसके जैसे मूर्खों को अच्छी तरह पहचानती है।

आश्चर्य तो यह है कि यह सब उस धर्म के प्रचार हेतु हो रहा है जिसमे डॉ कलाम जैसे लोग भी हैं।

7 comments:

  1. आज सोचा कि क्या किया जाए दिन का पहला काम
    तब दिलो दिमाग की सतह पर उभरा आपका नाम

    आपको होली की शुभकामनाएँ
    प्रहलाद की भावना अपनाएँ
    एक मालिक के गुण गाएँ
    उसी को अपना शीश नवाएँ

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  2. जमालगोटे का चेला सलीम तो बिल्कुल मूर्ख है
    आखिर चेला किसका है.
    जब गुरु ही गधा है तो चेला तो...

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  3. और जमालगोटे का एक और चेला है.
    नाम है उसका जाकिर अली रजनीश. साइंस की आड़ मे हमेशा
    हिँदु पर्वो का मजाक उड़ाता है.
    ज्योतिष का मजाक उड़ाता है.
    और चालाक तो इतना है कि इतनी चालाकी से हिँदु पर्वो का अपमान करता है . कि कुछ हिँदु भी उसकी हाँ मे हाँ मिलाने लगते है.
    देखो क्या कहता है कि होलिका दहन मे पेड़ो की हत्या हो रही है.
    जब कि होली मे पेड़ की टहनियाँ काटी जाती है न कि पूरा पेड़.
    जमालगोटे से भी ज्यादा खतरनाक है ये जाकिर अली और मासूम.

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  4. रोहित जी क्या आप भी अपना योगदान इस समीक्षा ब्लॉग को देंगे? मेरा अभियान ही है चिकनी चुपडी बातें करके हिन्दुत्व को लांक्षित करने वालों को बेनकाब करना। आपके सहमति की प्रतीक्षा में।

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  5. रोहित जी अभी अभी प्राप्त जानकारी के अनुसार जाकिर का उद्देश्य जमाल या सलईम की भांति नही है, वो सच मे जो समझता है और विज्ञान की कसौटी पर परखता है उसे लिखता है, अगर आप उनसे इस्लाम की किसी कुरीति के बारे मे पूछें और वो बरगलाएं तो जरूर उनको प्र्श्न किया जाएगा। तब तक जाकिर को निशाने पर लेना उचित नही

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  6. क्या बात है सलीम जी!!!!
    क्या मानसिकता है आप की?
    जापान में सुनामी इस लिए आया कि वह के लोग इस्लाम नही मानते ,
    क्यों माने उनका अपना एक धर्म है ,सब अपने धर्म से लगाव रखते ह
    पर सलीम तुमारी मानसिकता बहुत जायदा घटिया है

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  7. अनवर रूदन!!

    हालांकि इसे बयान करने के लिए एक पूरी पोस्ट दरकार है लेकिन संक्षेप में अर्ज़ करता हूं कि ‘मैं न कोई संत हूं और न ही कोई जोकर।‘
    संत का काम क्षमा करना होता है और जोकर का हंसाना। मैं जज़्बात से भरा हुआ एक आम आदमी हूं, एक पठान आदमी। पठान का मिज़ाज क़बायली होता है, वह आत्मघाती होता है। वह हर चीज़ भूल सकता है लेकिन वह इंतक़ाम लेना नहीं भूलता। मैं आर्यन ब्लड हूं। इस्लाम को पसंद करने के बावजूद मैं अभी भी इस्लाम के सांचे में पूरी तरह ढल नहीं पाया हूं।

    देखें:-http://www.deshnama.com/2011/04/big-blogger.html?showComment=1303635473999#c8116802546485254455

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