Sunday, April 3, 2011

सलीम को ज्ञान प्राप्त हुआ

आप लोगों ने सलीम की पिछली पोस्ट मे पढा कि किस प्रकार सलीम ने साहब सिंह के आँख पर पडा पर्दा हटाने का महान उपक्रम किया। अब साहब सिंह ने भी सोचा कि अगर उसने "ढंग से अध्ययन" न किया तो सलीम की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा, अतः उसने अध्ययन हेतु मार्गदर्शन मांगा, अब क्या था, सलीम ने देखा मौका मारा चौका, अपने ब्ळॉग का लिंक दे दिया। यहीं एक दुर्घटना हो गई, साहब सिंह ने उस ब्लॉग के अलावा और भी कुछ ब्लॉग (सुरेश चिपलुनकर और बी एन शर्मा के जैसे) ब्लॉग भी पढ लिए आखिर सलीम ने ही कहा था कि "ढंग से अध्ययन" की जरूरत है। अब क्या हुआ आगे पढ़ें:-


अगले दिन जब सलीम जब मिला साहब सिंह से तो साहब सिंह ने कहा, हमारी मान्यताओं पर तो अच्छी जानकारी प्राप्त हो गई, क्या अब हम तुम्हारी मान्यताओं पर बात करें? सलीम तो अतिआत्मविश्वास का मारा हुआ था, कहा क्यों नही (सोचा साहब सिंह क्या सवाल करेगा?)


साहब सिंह का पहला सवाल - हमे अल्लाह को क्यों मानना चाहिए? उसकी इबादत क्यों करनी चाहिए?
सलीम - अगर हम अल्लाह को नही मानेंगे तो बहुत बडा गुनाह होगा। अंत मे हम जहन्नुम मे डाल दिए जाएंगे।
साहब सिंह - अगर हम अल्लाह को नही मानेंगे तो वो हमे जहन्नुम मे डाळ देगा, ऐसा तो रघुराज प्रताप सिंह भी करता है, तो क्या अल्लाह भी ऐसा ही करेगा तो दोनो मे अंतर क्या?
सलीम - मौलवी साहब ने यह तो मुझे बताया ही नही।


साहब सिंह - अच्छा अगर हम अल्लाह की इबादत करेंगे तो अल्लाह हमे जहन्नुम मे नही डालेगा?
सलीम - नही।
साहब सिंह - तो वो क्या करेगा?
सलीम - जन्न्त बख्शेगा।
साहब सिंह - वहां क्या होगा?
सलीम - वहां खूब आब-ए-हयात (शराब) और ७२ हूरें मिलेंगी।
साहब सिंह - यह तो दाउद इब्राहिम भी इंतज़ाम कर देगा, शराब और औरतें, तो दोनो मे अंतर क्या?
सलीम - पर अल्लाह हूरें देगा।
साहब सिंह - हूरों के साथ तुम कुछ अलग करने वाले हो क्या?
सलीम - हां यार, सही कहते हो। इन सब के बारे मे तो मौलवी साहब ने यह तो मुझे बताया ही नही।


सलीम - मगर अल्लाह अकेले यह कर सकता है, तुम उसकी तुलना दो लोगो से कर रहे हो।
साहब सिंह - ये दोनो ही इस तरह के हर काम मे सक्षम हैं अर्थात दोनो ही दोनो काम कर सकते हैं, मानते हो या नही।
सलीम - सही है।
साहब सिंह - तो तुम जो एकेश्वरवाद की बात करते हो, उसके बराबर यहां दो लोग और खडे हैं, क्या यह बहुदेववाद को सही सिद्ध नही करते?
सलीम - मालूम नही, मेरे मौलवी साहब तो यह सब बताते नहीं


साहब सिंह - अल्लाह को ही क्यों मानें?
सलीम - अल्लाह ही हमे इस धरती पर भेजता है। वही हमे जीवन देता है, हम उसकी मर्जी के खिलाफ कुछ नही कर सकते।
साहब सिंह - अगर अल्लाह हमे जीवन देता है तो हमारी ज़ान कौन लेता है? वो हमारा ज़ान लेने वाला शैतान हुआ न?
साहब सिंह - और अगर हम अल्लाह की मर्जी के खिलाफ कुछ नही कर सकते, जो कुछ भी होता है वो सब उसकी मर्जी से होता है तो गलत तो कुछ भी नही होता होगा, या वो ज़ान बूझ कर गलत करवाता है हमसे और फिर हमे ही जहन्नुम मे फेंक देता है?


सलीम - ऐसे नही बोलते, कुफ्र होता है।
साहब सिंह - तो क्या इस्लाम मे चर्चा, तर्क और बहस पर पाबंदी है?
सलीम - नहीं। पर अल्लाह पर सवाल नही उठाने चाहिए?
साहब सिंह - जब तक हम सवाल नहीं करेंगे, तब तक यह कैसे मालूम पडेगा कि सामने अल्लाह है या उसके भेस मे शैतान?
सलीम - मौलवी साहब ने यह तो बताया ही नहीं।


सलीम - साहब सिंह तुमको इतना ज्ञान कहां से आया?
साहब सिंह - मैने तुम्हारे कहे अनुसार "ढंग से अध्ययन" किया, तो मुझे मालूम पडा।
सलीम - कहां अध्ययन किया यह सब?
साहब सिंह - ब्लॉग पर ही, सुरेश चिपलूनकर और बी एन शर्मा को पढो। फिरदौस और उम्मी को पढो।


सलीम - अरे यार तुमने तो बहुत लोगो को पढ लिया। सच मे तुमने मेरे दिमाग के सारे तार झनझना दिए, तुम मेरे सही मायने मे सच्चे दोस्त हो, अब तक मैं कितना गलत सोचता था, तुमने मेरे सोच को सही दिशा दे दी। अब तक मुझे मेरे मौलवी जो बताते गये मैं वही रटता गया, सच्चे मायने मे ढंग से अध्ययन तो तुमने किया है।



निवेदन - भाईयों यही सारे तर्क किसी भी धर्म के लिए दिए जा सकते हैं अतः आप सकारात्मक सोचें नकारात्मकता से सलीम के जैसे औंधे मुँह गिरे नज़र आएंगें।

59 comments:

  1. यह हो सकता है पोस्ट सलीम को निशाना बना कर लिखी गयी हो... लेकिन कुछ बातें(या कहें ज़्यादातर)सटीक और अंध विश्वासों पर गहरा प्रहार है. ये किसी भी अंध विश्वास पर लागू होगी. धन्यवाद

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  2. सलीम भाई क्या मौलवी ने आप को ये नही सिखाया
    १-सभी धर्मो की इज्जत करो
    २- इश्वर एक है
    सलीम भाई आप की बाते गवारो और बेवकूफों जैसी है

    उपयोगी चीजो को अपने समाज में मिला लेना या अपने परिवार से जोड़ लेना
    ये सब उसकी रक्छा करने के लिए किया जाता है
    गाय को माँ की दर्जा देने का मतलब उसकी रक्छा और सही डंग से पालन से है
    न की "birth मदर" से

    जब आप को "भारत" को "माता" कहने में आपति है
    तो समाज और विवेक की बाते करने का कोई मतलब नही है

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  3. इस देश में एक केवल देवी पूजनीय होनी चाहिए

    और वो है भारत माता

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  4. भारतीय नव वर्ष की आप को हार्दिक शुभकामनाये

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  5. apke tarke-tir to chutila ke saath-saath nukila bhi hai.....

    sadar........

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  6. यही बातें सभी धर्मों पर लागू होती हैं,तो फिर सलीम भाई का उदाहरण ही क्यों?
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  7. बहुत ठीक लिखा है आपने! किन्तु फिर भी शायद ही इन्हें समझ में आये. जब तक इनकी आखों पे सम्प्रदाइकता का चश्मा चढ़ा है तथा दिमाग में अपने को सबसे श्रेष्ठ समझने का अहंकार भरा है इनमे सुधार आना बहुत ही मुश्किल है.
    इस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हमारा नव संवत्सर शुरू होता है इस नव संवत्सर पर आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं ......

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  8. विवेक, अगर तुमने खुले दिमाग से यह पोस्ट पढा हो तो सबसे पहले मैने सलीम के पोस्ट का लिंक दिया है, यह पोस्ट सिर्फ उसका उत्तर है। यह ब्लॉग ही मात्र कुप्रचार के विरोध मे है। अगर तुम सलीम के कुतर्कों से सहमत हो तो तुम उसकी इस बात का भी समर्थन कर दो कि जापान मे भूकंप इस वजह से आया कि वहां इस्लाम पर पाबंदी है।

    धन्य है तुम्हारे जैसे शर्म-निरपेक्ष हिन्दु।

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  9. इनसे मिलिए. ये भी पाजामे से बाहर आ रहे हैं . क्यों न जरा इन्हें भी मुह तोड़ जवाब दिया जाये

    http://swachchhsandesh.blogspot.com/2011/04/is-satya-sai-baba-god.html

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  10. मैं इस पोस्ट पर कमेन्ट करना चाहता हू. पर यही नहीं समझ पा रहा हू यह ब्लॉग किसका है. परदे के पीछे छुपकर बोलने वाले से हम दूर ही रहते है. जिसमे सामना करने की ही हिम्मत न हो वह सच क्या लिखेगा.

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  11. हरीश, क्या तुम्हे मैने न्यौता भेजा था मेरे ब्ळॉग पर कमेंट करने के लिए आने को? अरे अगर तुममे दम है तो इस ब्लॉग जगत मे बहुत से ऐसे लेखक हैं जो अपने असली नाम से लिख रहे हैं (बी.एन शर्मा का ब्लॉग भण्डाफोडु उसमे से एक है) वहां तो कभी देखा नही, न ही देखा इस सलीम के ब्लॉग पर। वहां जाने के नाम पर पेचिशें चालू हो जाती हैं क्या? और तुम्हे वो पोस्ट नही दिखी जिसको आधार बना कर यह पोस्ट मैने ठेली है, न ही तुम्हे उस महामानव सलीम की पोस्ट दिखी जहां उसकमीने ने जापान त्रासदी को इस्लाम पर पाबंदी का प्रतिफल बताया है, तब तो तुम सलीम के साथ उसके बिस्तर मे घुस कर उसे मज़ा दे रहे थे, अब नींद खुली। वैसे मेरी भी असलियत उस शख्स को मालूम है जिसे लक्ष्य कर यह ब्लॉग बनाया गया है, मुझे तुम्हारे जैसे लोगो से प्रमाण पत्र की आवश्यकता नही है।

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  12. कभी-कभी छुपे हुए चोरों के घर में घुसना हमारी पुरानी आदत है. नकाब लगाकर वार करना आतंकवादियों का काम है. और तुम भी उसी में से एक हो. मैं सलीम खान या अनवर जमाल का विरोध नहीं करता, किसी पर व्यक्तिगत आक्षेप लगाना मेरी आदत भी नहीं है पर गलत बातों का हमेशा विरोधी हूँ और रहूँगा. सलीम खान और अनवर जमाल की कई पोस्ट पर हमें आपत्ति भी है. किसी भी हालात में किसी की भावनाओ को ठेस पहुँचाना या धर्म पर अंगुली उठाना गलत है. पर वे तुम्हारे जैसे लोंगो से अच्छे है क्योंकि वे जो भी कहते हैं खुलकर कहते हैं. छुपकर बात नहीं करते. हिम्मत है तो परदे से बाहर निकलो. हा यदि महिला हो और बहुत खूबसूरत हो तो बाहर मत निकलना कही तुम्हारा ............. न हो जाय.

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  13. विवेक,

    यह वितर्क सभी मतों पर लागु नहीं होते। भारतभूमि में पनपे अधिकांश धर्म पूर्ण तार्किक और निश्ल्य है। आप जानते ही होंगे।

    प्रश्न आपसे वही है, किसी कुप्रचार का बचाव क्यों?

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  14. हरीश बलात्कार तो तुम्हारा हो चुका है सलीम के द्वारा इसीलिए तुम अपने पति परमेश्वर का बुरा सुनने मे डरते हो।
    रही बात नकाब लगा कर वार करने की तो तुम क्या जानो कमांडो कैसे काम करते हैं जिंदगी तुम्हारी सलीम के बिस्तर को गर्म करते हुए गुजरी है।

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  15. सुज्ञ जी आपका प्रथम आगमन मेरे ब्ळॉग पर है यह (कम से कम टिप्पणी तो पहली है) मेरा ब्लॉग धन्य हुआ
    आप जैसे ज्ञानी लोगो के लिए मैं बहुत कुछ तो यहां प्रस्तुत नही कर सकूंगा पर आशा है कि फिर भी आप यहां आते रहेंगें और मेरा मार्गदर्शन करेंगे।

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  16. @समीक्षा

    हरीश सिंह जी तो अपने भतीजे की गम्भीर बिमारी के चलते एक माह के अवकाश पर है। फ़िर यह कौन है जो उनके ब्लॉग से टिप्पणी कर रहा है?

    कुछ तो अवाछिंत सा है?????????

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  17. सुज्ञ जी मैं इस हरीश सिंह के प्रोफाईल पर गया था, वहां पर जो कुछ मिला उससे इतना ही समझ आया कि यह या तो सलीम ही है जो फर्जी प्रोफाईल बना कर काम कर रहा है (इसमे उसकी योग्यता से सभी वाकिफ हैं) या फिर इस काम मे उसका गुरु कैरानवी का यह फर्जी धंधा है।
    इसीलिए मैने ऐसे कठोर शब्दों का चयन किया इसके विरुद्ध। मुझे नकाब के पीछे से बोलने वाले का उलाहना देते समय ही मैं समझ गया था कि यह स्वयं फर्जी है। आपने इस पर मुहर लगा दिया।

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  18. जबसे उस सिमी के ऐजेँट सलीम खान को हमारीवाणी ने लात मारकर निकाल दिया है.
    तबसे बेचारे को रोज मिर्गी के दौरे पड़ रहे है. और बेचारे को दस्त भी शुरु हो गये है.

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  19. सुग्य जी, अपने भतीजे को लेकर मैं हरिद्वार गया था, मैं सोचा था की रुकना पड़ेगा पर रुकना नहीं पड़ा, दवा लेकर वापस आया. आप मेरे ब्लॉग डंके की चोट पर पर आयें और बताएं की मैंने क्या गलत लिखा है. दो माह पहले LBA पर किस तरह हिन्दू धर्म का अपमान किया जा रहा था तब किसी ने भी विरोध नहीं जताया, उस समय मैं अकेले लड़ रहा था. जब मैंने "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की स्थापना की तब भी जमकर विरोध किया गया. मुस्लिम ब्लोगरों ने हमें गलियां दी, हमें बुरा भला कहा. फिर भी मैंने धैर्य नहीं खोया. और मात्र दो माह में "मंच" की पहचान बना दी. " रविन्द्र जी" {समझ गए होंगे की यह किसका नाम है, रविन्द्र प्रभात नहीं} को शायद मालूम नहीं. की मै "भंडाफोडू" ब्लॉग पढ़ा है. उस पर आये कमेन्ट भी देखे हैं. हिन्दू धर्म में जो शालीनता है यदि हम उसे भी खो देंगे तो हमारी संस्कृति का क्या होगा. हम दूसरों को गाली देंगे और वह हमें गाली देगा. क्या इससे मामले का हल हो जायेगा. संभवतः नहीं. हर बात कहने का अपना नजरिया होता है. बिना अशोभनीय शब्दों का प्रयोग किये भी हम अपनी बात कह सकते है. जब हम अपनी कमी दूर नहीं करेंगे तो दूसरों पर ही अंगुली उठाकर क्या होगा. आज लोग RSS पर अंगुली उठाते हैं. मैं भी RSS का सक्रीय कार्यकर्त्ता रहा चुका हू. हमारे यह कई बार कार्यक्रम हुए हैं. मैं सभी में शरीक होता था. लोग भले ही RSS पर अंगुली उठायें. पर मैंने खुद देखा है. RSS के किसी कार्यक्रम में भी हिम्मत नहीं होती थी की किसी भी कार्यकर्त्ता को जातिसूचक शब्दों से बुलाया जाय. बल्कि रविन्द्र जी, सन्देश जी, अनुज जी. सुग्य जी जैसे संबोधन होते हैं. हिन्दू धर्म को मजबूत करना है तो पहले हिन्दू संस्कृति अपनाये और अपनी बात शालीनता से रखें. हिन्दू होने पर गर्व करने से ही क्या होगा जब अपने हिंदुत्व से विमुख होते रहेंगे. हम अपनी पहचान छुपाकर नहीं रखते. हमरे ब्लॉग पर मेरा पूरा ब्यौरा है. पूरा भदोही जनपद मुझे जानता है. आप किसी का भी फोन न. चाहिए तो हमें बताएं मेरे बारे में पूरी जानकारी ले लीजिये........ मेरा इ-मेल editor.bhadohinews@gmail.com
    हम जो भी काम करते हैं छुपकर नहीं करते. यदि हिन्दुओ की आवाज़ को बुलंद ही करना है तो चेहरा छुपाकर क्यों..? किस बात से डरते हो आप. जब हिन्दू होने पर गर्व है तो खुलकर सामने आओ क्यों डरते हो आप....... छुपकर गाली देना तो हर कोई कर सकता है. मैं जानता हूँ यहाँ पर हमें फिर गाली मिलेगी इसके बावजूद मैं गाली नहीं दूंगा. क्योंकि हमारे संस्कार ही ऐसे नहीं है. जो संस्कार माता-पिता देते हैं वही तो बच्चो में आएगा.
    --
    भारतीय ब्लॉग लेखक मंच

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  20. हरीश तुमने लिखा "मैं गाली नहीं दूंगा" और तुम्हारा पहले की टिप्पणी थी "यदि महिला हो और बहुत खूबसूरत हो तो बाहर मत निकलना कही तुम्हारा ............. न हो जाय" यह बहुत ही शालीन बात लिखी तुमने, शायद अपनी मां बहन से ऐसे ही बात करते होगे तुम।

    रही बात मेरे ब्लॉग पर मैं किस नाम से लिखता हूं और कौन हूं इसकी जानकारी तुमको देना मैं जरूरी नही समझता हूं, और तुमको तो मैने न्योता भी नही भेजा था जो बेगानी शादी मे दीवाना अब्दुल्ला बने मुज़रा कर रहे हो। हां फिर से लिखता हूं कि मैं छद्म नाम से लिख रहा हूं उससे क्या फर्क पडता है, क्या मेरी बात झूठी है? क्या सलीम ने जापान के भूकंप के लिए निर्लज्जता पूर्वक यह नही लिखा कि यह जापान मे इस्लाम के उपर रोक के कारण है? क्या यही सलीम झूठी शिकायत और फर्जी फोटो के साथ अंकित therealscholar को झूठे मामले मे नही फंसाना चाहता था? झूठ तुम्हे मंजूर है पर पर्दे मे सच नही, अब झूठ बिना पर्दे के कहां होता है, बहुत सरल हरीश सिंह के घर मे।

    सबसे बडा झूठ लिखा मैं गाली नही दूंगा और पहले ही लिख चुका है गाली

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  21. हिन्दु संस्कृति अपनाने की बात उनके मुख से शोभा नही देती जो अपने ब्लॉग पर बड़े बड़े अक्षरों मे पोस्ट ठेलते हैं "हां किलर झपाटा... हरीश सिंह एक सच्चा मुसलमान है...."

    और छ्द्म नाम का फर्जी विरोध कम से कम उन लोगो के मुख से शोभा नही देता है जो सलीम के "खास" दोस्त हैं, यही सलीम अंजुमन नाम से फर्जी पोस्ट पर पोस्ट ठेलता था, फिरदौस के खिलाफ तब किस बिस्तर मे मुँह छुपा कर सोए थे? अंकित के खिलाफ उसने ऐसी गलीच हरकत की तब तो तुम उसको कुछ बोलने से ऐसे कतराए जैसे एक पतिव्रता नारी अपने शराबी कबाबी पति के विरोध से कतराती है। जब यही सलीम anonymous नामों से भण्डाफोडु ब्लॉग पर गालियां बकता है तब तुम क्या कर रहे होते हो?

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  22. तुमने बहुत सही लिखा है "जो संस्कार माता-पिता देते हैं वही तो बच्चो में आएगा" अब तुम्हारे बच्चे बड़े हो कर अपनी मां को कहेंगे कि "अम्मा तुम महिला हो और बहुत खूबसूरत हो, बाहर मत निकलना कही तुम्हारा ............. न हो जाय"

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  23. मैं इस पोस्ट पर कमेन्ट करना चाहता हू. पर यही नहीं समझ पा रहा हू यह ब्लॉग किसका है. परदे के पीछे छुपकर बोलने वाले से हम दूर ही रहते है. जिसमे सामना करने की ही हिम्मत न हो वह सच क्या लिखेगा.
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    यही लिखा था न मैंने, इसमें गलत क्या है. इसके बाद आपने क्या लिखा. मैं तो आपकी सच्चाई देखना चाहता था, पर आपने किस भाषा का प्रयोग किया, वह भी पढ़ ले. निश्चित रूप से उसके बाद हमने गुस्से में जिस शब्द का प्रयोग किया वह गलत है. पर ऐसा करने के लिए आपने उत्प्रेरित किया. आपने सही कहा किसी के यहाँ बिना बुलाये नहीं जाना चाहिए, पर आपने अपना ब्लॉग सभी के लिए खुला छोड़ा है. आपने हमें सलीम खान का छद्म नाम समझा, शायद आपको पता नहीं हमने अभी सलीम को देखा तक नहीं है. विवादों के चलते ही हमने "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" बनाया था और आपको पता होना चाहिए तीन साल में सलीम LBA पर जितने समर्थक नहीं जुटा पाए वह मैंने मात्र दो माह में किया...... मेरी आपसे या किसी भी बलोगर चाहे वह हिन्दू हो मुसलमान से कोई दुशमनी नहीं है. इन्सान कोई भी बुरा नहीं होता, उसके संस्कार उसे अच्छा या बुरा बनाते है. हर व्यक्ति के अन्दर अच्छाईयां और बुराइयाँ दोनों समाहित हैं. मेरी नजर में हर वह इन्सान गलत है जो दूसरों का अपमान करे. जिसके विचार गलत है वह गलत है चाहे वह हरीश सिंह हो, सलीम खान हो, अनवर जमाल हो या स्वयं आप भी. यह क्यों नहीं सोचते की जो आज बुरा है कल उसके विचार बदले और वह भी अच्छा बन जाय. रावण ब्राह्मन था, विद्वान था फिर भी वह राक्षस कहलाया. RSS को लोग बुरा कहते हैं पर जब हम रस की शिविरों में जाते थे तो हमें ऐसी कोई बात नहीं बताई गयी जो आतंकवादी शिविरों में हिन्दुओ के प्रति बताई जाती है. हमें तो वहा आपसी प्रेम ही मिला, विनय कटियार जी का भासन आपने सुना है. लाखो मुसलमानों को उन्होंने हिन्दू धर्म ग्रहण कराया, कैसे क्या तलवार के दम पर नहीं उन्होंने गाली भी नहीं दिया. वे हमेशा कहते हैं की मुसलमान हमारे ही भाई हैं जो हमसे नाराज़ होकर धर्म परिवर्तन किये....... बंधुवर कभी शीर्षक पढ़कर खबर का अंदाज़ा मत लगाया करिए, हरीश सिंह मुसलमान है आपने पढ़ लिया पर उस पोस्ट में लिखा क्या है क्या आपने पढने की जहमत उठाई, जी नहीं..
    मुझे पता है अभी आप युवा है. आपके खून में गर्मी है. पर ऐसी गर्मी सिर्फ साबुन के झाग की तरह होती है जो थोड़े दिन में बैठ जाती है. हिन्दू महासभा से जुड़कर आपने कोई तीर नहीं मार लिया है.
    आप कहते है न सलीम फर्जी नाम से ब्लॉग बनाकर कमेन्ट करता है. वही काम आप कर रहे है. फिर आपमें, किलर झपाटा में या सलीम खान में फर्क ही क्या है. जो कहना है यदि आप हिन्दू हैं तो खुलकर सामने आईये अपनी बात कहिये. और वह बात कहिये जिसमे दम हो,
    मुझे पता है आप कौन है...? इसीलिए नम्रता का व्यवहार कर रहा हूँ. मैंने जो बाते आपको कही तू-तड़ाक की भाषा का प्रयोग नहीं किया. पहली बार जो कमेन्ट किया उसके लिए मैं शर्मिंदा हूँ. और आप हमसे उम्र में छोटे हैं इसीलिए आपको माफ़ भी करते हैं. आपके ब्लॉग पर यह मेरा अंतिम कमेन्ट है. आप बैठकर मुझे खूब गाली दीजिये. धन्यवाद.. आपका हिन्दुवाद आपको मुबारक..

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  24. मैं आज इस पोस्ट पर आया, हो सकता है सच कहने के लिए मुझे भी गाली सुननी पड़े. पर जो कहना है जरुर कहूँगा. निश्चित रूप से जो पोस्ट यहाँ पर लिखी गयी है वह विचारणीय है. जब यह विवाद देखा तो हरीश भाई के ब्लॉग ...... पर गया. उन्होंने जो लिखा है सत्य लिखा है. मुझे उसमे कोई कमी नजर नहीं आई. सच कहने के लिए इतने अपशब्द भी सहा उन्होंने.. फिर भी उन्होंने जिस तरह अपनी बात कही उससे उनका बडप्पन ही झलकता है. मैं जनता हूँ विवाद होने पर ही उन्होंने "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" बनाया था. जो गैर विवादित संगठन है. हरीश भाई एक सम्मानित व्यक्ति है क्योंकि पत्रकार होने के नाते उन्हें मैं भलीभांति जनता हूँ. वे पूर्वांचल प्रेस क्लब के अध्यक्ष भी हैं. अपनी बात वे बिना डर के कहते हैं. हर समाज में उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है. लिहाजा उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया है. जिसकी झलकियाँ कोई भी इस लिंक पर http://www.poorvanchalpressclub.blogspot.com/
    पर देख सकता है. वे एक सच्चे हिन्दू है. लेकिन इससे पहले वे सच्चे हिन्दुस्तानी और नेक इन्सान है. जो हिन्दू छुपकर इस तरह किसी को भी गाली दे वह किसी जाती धर्म का नहीं हो सकता. आखिर आतंकवादियों और ऐसे हिन्दुओ में क्या फर्क है. मैं हरीश भाई से गुजारिश करूँगा की ऐसे ब्लॉग पर कमेन्ट न करे क्योंकि बेमतलब ऐसे लोग प्रचार पाते हैं. और हिन्दुओ को बदनाम करते हैं.
    यदि सलीम खान से लोंगो को इतनी नफरत है और उसे हिन्दू विरोधी समझते हैं तो उसके सामुदायिक ब्लॉग से क्यों जुड़े हैं. क्या वे हिन्दू नहीं हैं. मैं आज तक LBA और AIBA पर कमेन्ट नहीं किया क्योंकि हिन्दुओ के प्रति लिखी गयी उसकी बाते हमें कभी पसंद नहीं आई. ऐसे सभी कथित हिन्दू और मुसलमान ब्लोगरो का बहिस्कार करना चाहिए.

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  25. मेरा प्रश्न एक ही है हरीश सिंह से, मैने जो लिखा वो गलत है तो उस पर टिप्पणी क्यों नही करते? और अगर सलीम की थ्योरी "जापान मे भूकंप इस्लाम पर पाबंदी का परिणाम" सही है तो उसके समर्थन मे अब तक कोइ टिप्पणी क्यों नही दी?
    रही बात छिप कर हमला करने की तो हिन्दु धर्म की बहुत बातें तुमने बताई, अब कुछ कहानिया मैं तुम्हे भी सुना दूं
    १. राम जी ने जब बाली का वध किया तब वो पेड़ की आड में थे
    २. जब भीष्म का वध हुआ तब कृष्ण की प्रेरणा से अर्जुन ने शिखण्डी की आड से ही वार किया था
    ३. श्रीकृष्ण जी ने काल-यवन का वध भी मुकुन्द की आड मे किया
    ४. दुर्योधन, द्रोणाचार्य, कर्ण इत्यादि धर्मद्रोहियों का वध करने हेतु किसी नियम का तोडना गलत नही माना गया।
    ५. जब मेघनादद चण्डी यज्ञ कर रहा था तब लक्ष्मण जी द्वारा यज्ञ विध्वंश राम जी के द्वारा अनुमोदित था।
    अब मुझे धर्म ज्ञान देने वाले यह बताएं कि मैं कैसे गलत हूं।
    हरीश सिंह मैने जो टिप्पणियां की वो सलीम के धोखे में की पर अगर मैं जानता कि तुम सलीम नही हो तो भी मेरी टिप्पणी का सार वही रहता, सिर्फ गालियां नही होती, शेष तुम्हारी किस्मत खराब थी मैं क्या करूं।

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  26. गंगाधर हां मैं किसी जाति धर्म का नही हूं, मैं इन सबसे ऊपर हूं, देखा नही तुमने मेरी पोस्ट का अंतिम वाक्य, आश्चर्य है, इसके बाद भी मुझ पर प्रहार हो रहे हैं और सलीम को सच्चा इंसान बताने की घटिया कोशिश हो रही है

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  27. @अहसास की परतें - समीक्षा ,मित्र सबसे पहले तो तुम्हें बधाई देना चाहता हूँ तुम्हारे इन साहसी प्रयासों के लिए , ये जो लोग भी तुम पर प्रहार कर रहे हैं ऐसे ही लोग हमारे पूरे हिन्दुस्तान में भरे हुए हैं ,जो व्यक्ति क्रिया करता है ,पहले झगडे की शुरुआत करता है उससे जाकर सवाल जवाब करने में इनकी नानी मरती है और जब हम-तुम उस पर प्रतिक्रिया करतें हैं तब इनके पेट में दर्द होता है ,दोस्त ये मूर्ख लोग कुछ दुष्ट और कट्टरपंथी मुसलमानों की प्रशंसा पाने हेतु तुम्हारा हौंसला तोड़ने का प्रयास ज़रूर करेंगे पर तुम अपना हौंसला बनाए रखना क्यूंकि अगर तुम्हारे जैसे भाई भी इन मूर्ख लोगों जैसे हो गए तो हमारे हिंदुस्तान का तालिबानीकरण होने में देर नहीं और इन गधों को ये नहीं पता की सबसे पहले इन्ही की अल्लाह को कुर्बानी दी जायेगी ,बेवकूफ जिस शाखा पर बैठें हैं उसी को काटने पर तुले हैं ,आज के युग में श्री राम की नहीं बल्कि श्री कृष्ण जैसे चतुर बुद्धि वाले लोगों की ज़रूरत है जो इन दुष्टों का सर्वनाश कर सके,राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी जी और ब्लॉग्गिंग में बी न शर्मा जी ,सुरेश चिपलूनकर जी और तुममें मुझे वो रूप दिखाई देता है

    शुभकामनाओं सहित ,
    विदा

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  28. ब्लॉग का नाम देखा तो सोचा की कुछ अच्छा अहसास होगा, पर यह क्या एक आदमी सलीके से बात कर रहा है. और दूसरा छुपकर हिन्दू धर्म को बदनाम कर रहा है. ऐसे लोग हिन्दुओ को बदनाम करते हैं. सलीम गलत है तो तुम ही कौन अच्छे हो. घिन आती है हमें तुम जैसे हिन्दुओ पर.

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  29. भगवान से अपनी तुलना मत करो गंदे आदमी.

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  30. सलीम के लव जिहाद की शिकार बेवकूफ औरत @कीर्ति हेगड़े , तुझे ये सारी बातें तब समझ में आएँगी जब तुझे सारी उम्र बुर्के में और अपनी सौतन के साथ एक ही छत के नीचे गुजारनी पड़ेगी , और हाँ ध्यान रखियो तेरे मियाँ सलीम को तेरे पिछवाड़े पर चाबुक लगाने की भी पूरी इजाजत देता है इस्लाम साथ ही तीन बार तलाक कहते ही तेरा काम तमाम

    यकीन ना हो तो मुस्लिम औरतों से पूछ ले

    और हाँ अगर कहीं तेरा बलात्कार भी हो जाए तो भी सुन ले इस्लाम का न्याय , तुझे तीन या तीन से ज्यादा लोगों से गवाही दिलवानी पड़ेगी की उन्होंने तेरा रेप होते देखा है वरना कोडे खाने के लिए तैयार रह

    तेरे जैसे दोगले,घटिया और गद्दार हिंदुओं की वजह से ही ये मुसलमान अपने षड्यंत्रों में सफल होते हैं ,जब तेरा मियाँ सलीम ये सब कर रहा था तो कहाँ थी तू ,तब तेरी नानी मर रही थी , उसके आगे बोलने में चड्डी गीली होती है और जब कोई हिंदू भाई पलटवार करे तो तेरे जैसों के पिछवाड़े में मिर्च लगती है , आखिर क्यूँ ?

    पहले अपने ये नकली उपदेश अपने मियाँ सलीम को समझाके आ और उसे रोक , हम लोग तो अपने आप रुक जायेंगे गन्दी और बाजारू औरत

    थू है तेरे जैसी गद्दार औरतों और आदमियों पर
    आ आ आ ....थू

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  31. सलीम के लव जिहाद की शिकार बेवकूफ औरत @कीर्ति हेगड़े , तुझे ये सारी बातें तब समझ में आएँगी जब तुझे सारी उम्र बुर्के में और अपनी सौतन के साथ एक ही छत के नीचे गुजारनी पड़ेगी , और हाँ ध्यान रखियो तेरे मियाँ सलीम को तेरे पिछवाड़े पर चाबुक लगाने की भी पूरी इजाजत देता है इस्लाम, साथ ही तीन बार तलाक कहते ही तेरा काम तमाम

    यकीन ना हो तो मुस्लिम औरतों से पूछ ले

    और हाँ अगर कहीं तेरा बलात्कार भी हो जाए तो भी सुन ले इस्लाम का न्याय , तुझे तीन या तीन से ज्यादा लोगों से गवाही दिलवानी पड़ेगी की उन्होंने तेरा रेप होते देखा है वरना कोडे खाने के लिए तैयार रह

    तेरे जैसे दोगले,घटिया और गद्दार हिंदुओं की वजह से ही ये मुसलमान अपने षड्यंत्रों में सफल होते हैं ,जब तेरा मियाँ सलीम ये सब कर रहा था तो कहाँ थी तू ,तब तेरी नानी मर रही थी , उसके आगे बोलने में चड्डी गीली होती है और जब कोई हिंदू भाई पलटवार करे तो तेरे जैसों के पिछवाड़े में मिर्च लगती है , आखिर क्यूँ ?

    पहले अपने ये नकली उपदेश अपने मियाँ सलीम को समझाके आ और उसे रोक , हम लोग तो अपने आप रुक जायेंगे गन्दी और बाजारू औरत


    थू है तेरे जैसी गद्दार औरतों और आदमियों पर
    आ आ आ ....थू

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  32. मि. हरीश
    तुमसे ज्यादा कुछ
    नही कहूंगा.
    बस इतना कहूंगा कि तुम
    चिपलूनकर जी और बी एन
    शर्मा जी के पैरो की धूल के
    बराबर भी नही हो.
    क्यो कि वो लोग जो कर
    रहे है वो हर किसी के बस
    की बात नही है.
    तुम्हारे जैसे लोग तो आज
    हर गली चौराहे पर ऐसे
    ही भोपू बजाते मिलेँगे.
    तुम्हारे जैसे लोगो की वजह
    से देश का ये हाल हुआ.
    वरना बाहरी लोगो की इ
    तनी औकात
    नही थी कि वो भारत
    की तरफ आँख भी उठाते.
    जो आदमी दुश्मन को दुश्मन
    कहने की हिम्मत न
    रखता हो. वो दुश्मन से
    क्या खाक लड़ेगा?
    याद रखो
    जो आदमी अपने इतिहास से
    सबक नही लेता उससे
    बड़ा मूर्ख कोई
    नही होता.
    आज पाकिस्तान मे
    जो हिन्दु21 % थे आज 2 %
    बचे है .
    वहाँ 60 सालो से हिन्दुओ
    की बेटियो,बच्चो का अपह
    रण करके ,बलात्कार करके,
    और उनको जबरन मुसलमान
    बनाया जा रहा है. और
    जो बचे हुये
    2 %हिन्दु है. इतने खौफ मे
    है
    कि वहाँ वो अपनी हिन्दु
    पहचान छुपा कर रह रहे है.
    कि कही उनको भी जबरन
    मुसलमान न
    बना दिया जाये. वहाँ के
    मंदिर तोड़कर उनमे
    आटो सेँटर
    खोला जा रहा हैँ.
    क्या ये ही है
    इनका इस्लाम धर्म (?).
    ये तो पाकिस्तान की बात
    हुयी अब आ जाओ हमारे
    भारत मे.
    कश्मीर मे चार लाख
    कश्मीरी पंडितो को बाहर
    कर दिया गया.
    अगर तुम उनमे से एक होते
    तब तुम्हे
    पता चलता कि इस्लाम
    क्या है. और तुम ऐसे
    भाइचारे का भोपू न
    बजा रहे होते.
    उन कश्मीरी पंडितो ने जब
    खुद अपने ऊपर हुये जुल्म के
    बारे मे बताया तो अच्छे
    अच्छे पत्थरो के रोंगटे खड़े
    हो गये.
    उन्होने बताया कि उस
    मनहूस रात को मस्जिदो मे
    लाऊड स्पीकरो से जोर
    जोर से
    चिल्लाया जा रहा था.
    इस्लाम कबूल
    करो नही तो इनको काट
    दो.
    इस समय भारत मे 6 करोड़
    बांग्लादेशी अवैध रुप से रह
    रहे है जिनको पश्चिम
    बंगाल, केरल .असम मे
    बहाँ के
    मुसलमानो की मिली भगत
    से उनको एक रणनीति के
    तहत
    यहाँ की नागरिकता प्रदा
    न की जा रही है. ये काम
    बहुत पहले से हो रहा है और
    अब उसी का नतीजा है
    कि केरल,पश्चिम
    बंगाल ,असम का पूर्ण
    इस्लामी करण हो चुका है.
    और अभी कुछ घटनाये तुमने
    सुनी होँगी
    कि कैसे वहाँ एक प्रोफेसर
    के दोनो हाथ काट डाले
    गये.
    और एक हिँदु को अपने घर के
    गेट पर लगी भगवान
    की मूर्ति को हटाने
    को कहा गया क्यो कि उससे
    वहाँ से निकलते हुये तुम्हारे
    मुल्ले भाईयो की भावनाये
    आहत हो रही थी.
    और भी क्या क्या लिखूँ ?
    लिखते लिखते साल बीत
    जायेँगे लेकिन इन
    राक्षसो की राक्षसी कार
    नामे नही खत्म होँगे.
    अरे यार मै
    तो किसी आदमी के एक लेख
    से
    ही उसकी मानसिकता समझ
    जाता हू. और तुम सलीम और
    जमाल के इतने लेख पढ़ने के
    बाद
    भी इनकी गंदी मानसिकता
    नही समझ पाये.
    ये दोनो हिँदुओ
    को मुसलमान बनाने
    की मानसिकता लेकर इस
    ब्लागजगत मे आये है.
    जब कि चिपलूनकर जी और
    शर्मा जी हिँदुओ को हिँदु
    ही बनाना चाहते है.
    अंत मे
    इतना ही कहूंगा कि अभी भ
    ी वक्त है जाग जाओ.
    कही ऐसा न हो कि कल
    जागने का मौका भी न
    मिले.
    १६ अप्रैल २०११ २:०८
    अपराह्न

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  33. @कीर्ति
    तुम मुझे बताओ कि इस लेख मे तुमको क्या गलत लगा ? मै कमेँटस की बात नही कर रहा हूँ.
    इस लेख मे अगर तुमको कुछ गलत लग रहा हो तो वो बताओ.
    क्यो कि ये जो लेख है ये सलीम के उस लेख का जबाब है जिसमे वो हिँदु धर्म का मजाक उड़ा रहा है .जिसका लिँक ऊपर दिया गया है.

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  34. @बेनामी
    किसी महिला से इस तरह अपमान जनक बात करना अच्छी बात नही है.
    कीर्ति हेगड़े अभी नयी ब्लागर है.
    और उनको अभी पूरा मामला पता नही है .
    इसलिये गलतफहमी मे वो इस तरह की बात कर रही है.
    जैसे ही उनकी गलतफहमी दूर होगी वो खुद ही सब समझ जायेँगीँ.
    आखिर वो भी एक हिन्दु है
    और हिन्दु धर्म का अपमान होने पर उनका भी खून खौलेगा.और फिर वो हिन्दु धर्म का अपमान करने वालो पर खुद ही रानी लक्षमीबाई की तरह टूट पड़ेँगी.

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  35. अहसास भाई
    बेनामी द्वारा कीर्ति हेगड़े के प्रति किये गये कमेन्ट की भाषा सही नही है
    और कीर्ति हेगड़े ने भी अपनी गलतफहमी की वजह से जो कमेँट किया है
    वो भी सही नही है.
    अतः आपसे अनुरोध है कि बेनामी और कीर्ति दोनो के कमेँट डीलिट कर दीजिये.

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  36. और कीर्ति हेगड़े से भी एक बात कहना चाहूंगा.
    तुम्हे भी किसी लेख की प्रष्ठभूमि जाने वगैर इस तरह के कमेँट नही देने चाहिये.

    शास्त्रो मे कही गयी एक बात को हमेशा याद रखो.
    "शठे शाठयं समाचरेत"
    मतलब दुष्ट्रो के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिये.
    अगर तुम्हारे सामने कोई हिँदु धर्म का मजाक उड़ाये ,उसका अपमान करे, देवी देवताओ को गालिया दे.
    तो तुम क्या करोगी ?
    जाहिर बात है उस पापी का मुँह नोच लोगी.
    तो वो ही काम अहसास भाई कर रहे है.

    सलीम और जमाल पिछले दो तीन सालो से हिँदुओ को मुसलमान बनाने की मानसिकता लिये इस ब्लाग जगत मे हिँदु धर्म, और देवी देवताओ का अपमान कर रहे है, ग्रंथो की गलत सलत व्याख्या कर रहे है.

    उसी के जबाब मे अहसास जी और शर्मा जी उन दुष्टो को मुहतोड़ जबाब दे रहे है.
    और तुम्हे भी, बाकि हिँदुओ की तरह उनका साथ देना चाहिये.
    न कि इस तरह उनका हौसला गिराना चाहिये.
    मुझे उम्मीद है कि तुम्हे अपनी गलती का अहसास हो गया होगा.

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  37. @रोहित भाई , क्षमां चाहूँगा अपनी कठोर प्रतिक्रिया के लिए लेकिन मुझसे ये सब देखा नहीं गया, एक ओर तो समीक्षा जी इतनी कठिनता से इन दुष्टों को मुंह तोड़ जवाब दे रहे हैं और दूसरी ओर अपने ही लोग उनकी कब्र खोदने में लगे हैं , अगर कीर्ति ने शालीनतापूर्वक समीक्षा जी को अपने असहमति दर्ज करवाई होती तो मुझे कोई आपात्ति नहीं होती क्यूंकि हम इस्लाम के उन कट्टरपंथी लोगों की तरह नहीं हैं की जो हम कह रहे वही सही है ओर तुम्हे इसे मानना ही पड़ेगा वरना तुम्हारा सर कलम कर दिया जाएगा ,हमारे तो यहाँ पर किसी भी विषय पर विचार-विमर्श ओर शास्त्रार्थ की परम्परा बहुत पुरानी है , लेकिन कीर्ति ने समीक्षा जी के साथ जिस प्रकार की तू-तड़ाक ओर अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया वो सचमुच असहनीय है , मैं पूछता हूँ उसने कितनी बार ऐसा सलीम खान के समक्ष करने की हिम्मत की है ?

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  38. हा हा हा, अब मैदान मे कीर्ती हेगडे भी, अरे अंजुमन वालों कितने फर्जी ब्लॉग बनाओगे, मैं तो अपनी पहचान छिपा कर काम कर रहा हूं, पहचान चुरा कर नही। और अगर चोरी ही करनी थी तो थोडी अकल तो लगा लेते, अभी भी तस्वीर का नाम मेघा है जिसे तुमने upload किया है, तो चोरी करते समय किसी professional से मदद ले लेना आगे से नही तो ऐसे ही चोरी पकडी जाएगी।
    रही बात भगवान से तुलना करने की (राजा भैया और दाऊद की) तो मैने ऐसा कब कहा, मैने तो अल्लाह मियां से तुलना की है गुरु घंटाल महोदय। वैसे तब तो बडा मजा आया होगा जब सलीम गौ माता के बारे मे विष वमन कर रहा था, अब इधर भी थोडा मज़ा ले लो।

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  39. अहसास भाई
    क्या वाकई मे कीर्ती फर्जी आई डी है?
    अगर फर्जी है तो वाकई मे बड़ी पारखी नजर है आपकी.

    मुझे भी एक बार संदेह तब हुआ जब मैने इनके मुहँ से ये वाक्य सुना
    " भगवान से तुलना मत करो गंदे आदमी".

    क्यो कि मैने ब्लाग जगत मे बहुत महिला ब्लागरो को देखा है.
    लेकिन आज तक उनको ऐसी भाषा का प्रयोग करते नही देखा. वो भले ही किसी लेख से चाहे कितनी भी घ्रणा करे लेकिन उनकी आलोचना भी शालीन भाषा मे होती है.
    ऐसे मे मुझे संदेह हो रहा था लेकिन फिर मैने इनका कमेन्ट आशुतोश जी के ब्लाग पर देखा तो मुझे लगा कि ये फर्जी आई डी नही है.

    लेकिन अब आपने मेरे दिमाग की बत्ती जला दी है.
    इसके लिये आपका धन्यवाद

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  40. रोहित जी आप जब अर्चना जी के profile पर जाएगे, वहां चित्र पर click करिए, यह दूसरी window मे खुलेगी, http://3.bp.blogspot.com/-_Hhgo9KN60A/TXngYngxNrI/AAAAAAAAAAM/XZgt3Fn4qtU/s220-h/02megha11.jpg इसमे साफ है कि इस चित्र का नाम 02megha11.jpg है, अब अगर यह कीर्ती का चित्र है तो नाम मेघा क्यों?

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  41. photo se galat shi ka andaza nahi lagaya ja sakta... jara aap log "danke ki chot par" aayen

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  42. हरीश सिँह जी
    आपकी सोच गलत है
    आप
    राक्षसो को सुधारना चाह
    ते है जब कि मेरी सोच
    राक्षसो के विनाश की है.
    राक्षसो को सुधारने
    की सोच के कारण आज हम
    लोगो का ये हाल हो गया.
    इतिहास केवल सजा के रखने
    के लिये नही होता है.
    इतिहास इसलिये होता है
    ताकि आने
    वाली पीढ़िया उससे सबक
    ले और भविष्य मे
    ऐसी गलती न करे.
    जरा याद करिये
    अगर प्रथ्वीराज चौहान
    ने उस राक्षस मोहम्मद
    गौरी को16 बार
    जीवनदान न
    दिया होता तो क्या आज
    देश का ये हाल होता.
    लेकिन वो भी आपके
    जैसी राक्षसो को सुधारने
    वाली सोच से ग्रसित था.
    और उसने गोरी को 16
    बार ये सोच के छोड़ा कि ये
    सुधर जायेगा.
    और आखिरकार
    यही मूर्खता उसको ले डूबी
    और मुगलो का साम्राज्य
    दिल्ली मे स्थापित
    हो गया.
    और उसके बाद इस देश मे
    क्या क्या हुआ बताने
    की जरुरत नही है. और
    जिसका दुष्परिणाम आज
    तक ये देश भोग रहा है.
    अरे भगवान ने भी शिशुपाल
    को100 गालिया देने तक
    माफ किया था
    और उसके बाद उसका बध
    कर दिया था.
    आप क्या अपने
    आपको भगवान से
    भी बड़ा समझते है
    कि राक्षस जमाल और
    सलीम आपके धर्म को आपके
    भगवान को हजार
    गालिया दे रहे है और आप
    उनको अपने सीने से
    चिपकाये घूम रहे है.
    इतनी सज्जनता मत
    दिखाइये
    कि वो कायरता बन
    जाये.निसन्देह
    इस देश मे बहुत अच्छे
    मुसलमान भी है
    उनसे किसी को कोई
    शिकायत नही.
    लेकिन इसका मतलब ये
    नही है कि साँप
    को भी पाला जाये.
    और आप दो ऐसे जहरीले
    साँप को पाल रहे है
    जो बार बार काट रहे है
    और आप उनका फन कुचलने के
    बजाय ये सोच कर गले मे
    टांगे फिर रहे है कि शायद
    ये काटना छोड़ दे.
    तो टांगे रहिये .मुझे
    क्या फर्क पड़ता है.
    आपका जो मन आये वो करो
    लेकिन हाँ दूसरो को भी ये
    मत समझाओ
    कि वो भी इन्हे पाले.
    क्यो कि दूसरे आपके
    जैसी सोच नही रखते है.
    दूसरो को साप का फन
    कुचलना अच्छी तरह
    आता है.

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  43. Ha ha ha, gangadhar ji photo se sahi ka andaza lagta ho ya na ho, par galat to pakada hi gaya.

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  44. मेरे प्रिय समीक्षा जी, शायद आप हरीश सिंह को नहीं जानते. आपने अभी तक नहीं समझा वे गाली सुनकर भी शांत क्यों है. हिंदुत्व के लिए उन्होंने जो किया है वह आप मरते दम तक नहीं कर पाएंगे. वे तीर चलते हैं पर निशाना साधकर, आप जैसे लोग हवा में तीर चलते हैं. पहले उनका ब्लॉग पढ़िए फिर उन्हें समझ paiyega , बड़ी ऊँची चीज है हरीश जी, उन्होंने हिन्दू धर्म के लिए जो किया है वह आप मरने त्याक नहीं कर सकते. बस उनका तरीका अलग होता है.

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  45. यह पोस्ट दुसरे के ब्लॉग से उठाकर जब अनवर भाई ने लगायी होगी तो निश्चित ही उनकी मानसिकता सही नहीं रही होगी. पर हरीश भाई ने भी तो वही काम किया है. जिस पोस्ट के लिए अनवर को कोसा जा रहा है वाही काम इन्होने क्यों किया. किसी की पोस्ट पर आपत्ति जताने का यह कौन सा तरीका है. एक बात मैंने देखि है. हिन्दू ब्लोगरो से मुस्लिम ब्लोगर अच्छे हैं. कम से कम वे बहन बेटियों की इज्ज़त करते हैं. किसी अहसास की परतें समीक्षा ब्लॉग पर हमें जो गालियाँ दी गयी, उससे मैं मर्माहत हूँ. मैंने कब कहा प्रोफाइल में लगी फोटो मेरी है. बहुत सी महिला ब्लोगर ऐसी हैं जो किसी न किसी कारन वश अपना फोटो काल्पनिक लगाती है,.
    यदि उन कट्टर हिन्दुओ की निगाह में मैं हिन्दू ही नहीं हूँ तो माफ़ करें मुझे ऐसी हिन्दू बननी भी नहीं है. जहाँ माँ-बहन-बेटी को गालियाँ दी जाती है... मैं आप सभी से पूछना चाहती हूँ. क्या भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म यही शिक्षा देता है.

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  46. main aapke blog par aayi iske liye main sabhi se mafi mangti hoo.

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  47. गंगाधर जी, अगर हरीश सिंह मेरी गाली सुनने के बाद भी शांत रहे तो क्या मेरे बलात्कार की बात आपने की थी?

    रही बात निशाना साध कर तीर चलाने की तो वो मैं देख रहा हूं कि निशाना कौन है, मुझे मूर्ख बनाने आपकी कोशिश व्यर्थ है।

    और अगर यह नही जानते हैं कि मैं कौन हूं तो यह कैसे कह सकते हैं कि मैं वो कुछ नही कर सकता जो हरीश सिंह ने किया है (
    वैसे लगता है कि हरीश सिंह ने शंकराचार्य जी के बाद और चार पीठ स्थापित कर दिए, हूंह, बकवास करते हैं लोग, मालूम भी नही क्या बक रहे हैं)

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  48. प्यारे भाई कीर्ती हेगडे (अब क्या करूं भाई जी आपने अब तक अपना असली नाम बताया ही नहीं) तुम सही कहते हो मुस्लिम ब्लॉगर मां बहन को गालियां नही देते हैं (क्योंकि वो जो कुछ बकते हैं उसे गाली समझते ही नहीं हैं) नही तो बी एन शर्मा जी के ब्ळॉग पर, फिरदौस खान के ब्ळाग पर, उम्मी के ब्लॉग पर इतने शालीन ब्लॉगर इकठ्ठा कहां से होते?
    रही बात दूसरे की फोटो लगाने की तो हां कई लडके जो लडकियों के नाम से ब्लागिंग का व्यवसाय करते हैं (जैसे सलीम अंजुमन के नाम से, गुरु घंटाल महाशय कीर्ती हेगडे के नाम से) वो ऐसा ही करते हैं।

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  49. भारतीय संस्कृति की रक्षा करने वाले सभी हिन्दू धर्मावलम्बियों का सामुदायिक मंच बनाते हुए हमें अत्यंत प्रशन्नता का अनुभव हो रहा है. इस ब्लाग का मकसद पूरे विश्व में होने वाले हिन्दुओ पर अत्याचार की खबरे प्रकाशित करना है. इस ब्लॉग का मालिक कोई नहीं नहीं होगा. इस मंच से जुड़ने वाले सभी लोग बराबर जिम्मेदारी निभाएंगे. जो भी ब्लागर सच्चे हिन्दू हैं वे चाहे विश्व के किसी कोने में रहते हैं इस मंच के लेखक बन सकते हैं. मानवता का विनाश करने इस्लाम के अनुयायियों को तमाचा मारने के लिए मुस्लिमों के कुकृत्य की ख़बरें चाहे वे विश्व के किसी कोने में हो रही हो इस ब्लॉग पर प्रकाशित करें. साथ ही इसका मकसद हिन्दुओ को एकजुट करना भी है, आप जहाँ भी रहते हो, वहा अख़बार पढ़े और मुसलमानों द्वारा किये जा रहे कुकृत्य इस ब्लॉग पर प्रकाशित करें, साथ ही यह भी ध्यान दे बहुत सी ऐसी खबरे होती है जिन्हें समाचार पत्र प्रकाशित नहीं करते. लिहाजा आप लोंगो को ध्यान रखना होगा अपने आस-पास होने वाली घटनाओ पर, जहा पर भी मुस्लमान अधिक संख्या में रहते हैं. वहा उन्होंने हिन्दुओ का जीना दूभर कर दिए हैं. तो आप सभी हिन्दू भाइयों का कर्तव्य बनता है की सच्चाई सबके सामने लायें.
    आईये सभी मिलकर इस्लाम का सच सामने लायें.....
    जय श्री राम
    इस हल्ला बोल शामिल होने के लिए अपनी ई-मेल भेंजे.........
    hindukiawaz@mail.com

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  50. क्या आप सच्चे हिन्दू हैं .... ? क्या आपके अन्दर प्रभु श्री राम का चरित्र और भगवान श्री कृष्ण जैसा प्रेम है .... ? हिन्दू धर्म पर न्योछावर होने को दिल करता है..? सच लिखने की ताकत है...? महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवा जी, स्वामी विवेकानंद, शहीद भगत सिंह, मंगल पांडे, चंद्रशेखर आजाद जैसे भारत पुत्रों को हिन्दू धर्म की शान समझते हैं, भगवान शिव के तांडव को धारण करते हैं, भारतीय संस्कृति का सम्मान करने वाले हिन्दू हैं. तो फिर एक बार इस ब्लॉग पर अवश्य आयें. जय श्री राम
    हल्ला बोल

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  51. हरीश सिंह और गंगाधर दोनो भी पूरे फ़्राड है,यह हिन्दु नामों के मुस्लीम आतंक प्रचारक है। इन्हें कोई महत्व न दो।

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  52. सलीम और जमाल की गंदी मानसिकता से आप सही में सच्चा संघर्ष कर रहे है।

    इश्वर एक है के नाम पर सभी पर अल्ला मियां को थोपने का प्रयास है। अगर इश्वर एक है भी तो वह हिन्दुओं आर्यों वाला ईश्वर ही है। पहले तुम इसको मानो।

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  53. Thanks lie destroyer bhai for information, I too had doubt about identity of Harish Singh & gangadhar.

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  54. हरीश सिंह की समीक्षा…………हरीश सिंह ने अपने ब्लॉग डंके की चोट पर एक सीरीज लेख माला दी थी।
    #“माफियाओं के चंगुल में ब्लागिंग “ उसके पहले भाग-क्या इसी सभ्यता पर करेंगे हिंदी का सम्मान [ प्रथम भाग] में पता नहीं जनाब हरीश सिंह किसे माफिया साबित करना चाहते है? इस लेख में अपनी दूसरी पोस्ट का जिक्र करते हुए सलीम की टिप्पणी के कसींदे पढ रहे है। जो बात निरामिष तीन शब्दों में करते है बात वही सलीम 72 शब्दों में करता है। और हरीश सिंह कहते है ‘निरामिष नें मात्र निंदा करके पल्ला झाड दिया’ और ऐसा दर्शाते है जैसे सलीम जानवरों को बचानें दौडा हो। कोई भी सच्चा पत्रकार किसी की भांडगिरी नहीं कर सकता, उसमें भी सलीम जैसों की और वह भी गैरजरूरी। सलीम अगर चापलूसों का महान है तो माफ़िया कौन है?
    यह हरीश सिंह सलीम ही है जो अपने कसीदे खुद पढ रहा है। अन्यथा कोई हिन्दु नाम धारी ओछे व्यक्तित्व वाले का भांड नहीं हो सकता।

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  55. उसी सीरीज के दूसरे लेख “क्या इसी सभ्यता पर करेंगे हिंदी का सम्मान [दूसरा भाग]”
    में जनाब हरीश सिंह, श्री आशुतोष जी की करूणा सभर टिप्पणी पर ऐसी प्रतिक्रिया करते है जैसे आशुतोष जी नें ‘कसाई नूर मोहम्मद’ को बुरा नहीं कहा बल्कि हरीश सिंह को सम्बोधित किया हो। हरीश सिंह क्रूरता भरे कार्य करने वाले माँसाहारीयों के समर्थन में गोपालों और चमडे के उपयोगकर्ताओं को दोषी ठहराने का बेशर्म उपक्रम करने लगे।

    चरित्रहीन अपने चरित्र पतन के लिए हमेशा चरित्रवानों को ही दोषी ठहराती है। उसी तरह ये क्रूर कसाई मांसाहारी भी अपने बचाव में दयावानों की गंदगी में गोबर ढूंढते है।

    अब इसमें यह चिन्हित मांसाहारी मांसव्यापारी माफ़िया है या गोपाल?

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  56. इस तरह के विवादों से हिन्दू समाज में फूट पड़ेगी. आप लोग बुद्धिजीवी हैं. यदि कोई भटक रहा है तो सही रास्ता दिखाए. असभ्यता से समाज विखंडित होगा. बाकि आप लोंगो की मर्जी.

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  57. सलीम साहब,

    आपने साहब सिंह का नमक खाने से इन्कार कर दिया क्योंकि उनका नमक खाने के बाद आप ईमान से उनको वैचारिक चोट नहीं पहुँचा सकते थे। उनका ही नमक खाकर उनका ही विरोध नहीं कर सकते थे। सही मायने में आप 'मोमिन' है। आप खुब जानते है नमक का हक़ कैसे अता किया जाता है।

    किन्तु मित्र कभी आपने गाय का दूध पिया होगा या बीफ़ का टुकडा खाया होगा, इस तरह आपनें गाय का नमक खा लिया होगा। उस बहुउपयोगी निरिह पशु को माँ भले मत मानो, पर ईमान से उसके नमक का हक़ अता कर दो। उसे चोट न पहुंचाओ। न हत्या करो। कहते हैं, मोमिन ईमान के पक्के होते है, उपकार के अहसान फरामोश नहीं होते। हक़ नहीं मारते। और मोमिनों में पठान तो प्रण के भी दृढ होते है।

    उसी तरह नमक धरती के पानी से या उसके गर्भ से मिलता है। अब भले उपकार के लिये उसे माँ का दर्ज़ा न दो, पर उसके नमक का कर्ज़ तो मोमिनों पर भी उधार ही रहेगा।

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  58. very nice ji
    Regards
    Yogesh
    plz visit my blog...
    http://yogeshamana.blogspot.com

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  59. हा हा फ़ालतू बात है यह।

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